Tuesday, 13 November 2018

तुम नहीं जानते तुम क्या हो...........

You don't know what you are
A place, where I use to go, just to feel refreshed. Not intended to promote this school.

चलो आज कुछ नया करते है, हर चीज़ को अलग अंदाज़ से देखते हो तुम,
डूबता सूरज देखना अशुभ होता है शायद, बड़े गौर से उसे निरखते हो तुम,
तुम कोई कीमती खिलौना नही हो, पर किसी का भी मन बहला देते हो,
बस शब्दों से ही किसी के भी ज़ख्मो को, बड़े प्यार से तुम सहला देते हो,
तुम्हारे विचार जितने गंभीर है उतने चंचल भी, जैसे कोई प्यारी हवा हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

Perfect कोई नही है, पर तुम imperfect नही हो ये एक fact है बस,
खुद को किसी चीज़ के काबिल नही समझना, तुम्हारा एक act है बस,
वो जो दोस्ती को दोस्ती बनाये रखे, कुछ इस तरह के एक दोस्त हो तुम,
पर इस दिखावे के भीड़ भाड़ में, किसी सुनसान जगह पर lost हो तुम,
Trip cancel करना फितरत नही तुम्हारी, मज़बूरियों तले तुम जवां हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

Feeling को बयां करना बखूबी आता है तुम्हे, शब्दो से नही तो example से,
पूरी कविता तुम्हारी पढ़ते है हम, impress होकर तुम्हारे एक sample से,
रात भर इंतेज़ार सुप्रभात और दिन भर शुभ संध्या का, सूरज के लाल होने तक,
अक्सर जवाब तैयार रखते हो तुम जाने कैसे, कोई भी सवाल होने तक,
तुमसे बात करना थोड़ा असमंजस भरा है, पुराने शब्दो से बने तुम कुछ नया हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

तुम वैसे बहुत बोलते हो किसी से भी, पर first impression पर मौन हो तुम,
तुम्हारे दोनों चहरे बिल्कुल अलग अलग है, पहचान नही पाते कि कौन हो तुम,
अपने decision में future को priority देते हो तुम, दुसरो में उसके सोच को,
मेहनत पर भरोसा करने वालों में से हो तुम, न की किसी पैरवी, aproach को,
शुरुआत में बड़े boring हो तुम, बाद में एक सुंदर सा, यादगार कोई वाकया हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

कभी दिखे नही इसलिए लगता भी नही है, कि रोते भी होगे तुम किसी बात पर,
कभी उछले नही मन ही मन में भी, छुपा लेते हो अपनी feelings मुलाकात पर,
इश्क़ और मोहब्बत से दूर रहे हो तुम, प्यार से ज़्यादा इज्जत दिया है किसी को,
हंसी मज़ाक भी सोच कर करते हो, Good Behaviour तुम कहते हो इसी को,
तुमसे मिला तो लगा खुद से मिल गया, चलता फिरता तुम एक आईना हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

जितने simple तुम लगते हो देखने से, समझने में उतने easy नही हो,
वैसे काम तो बहुत है तुम्हारे जिम्मे, लेकिन हर समय तुम busy नही हो,
बहुत सारी खूबियां भरी है तुम्हारे भीतर भी, उभरते हुए एक कवि हो तुम,
जो रोशनी करे पर परछाई न बनने दे, सूर्योदय से ठीक पहले के रवि हो तुम,
Painter, writer, motivational speaker, खुद से ही तुम बयां हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.

हर दिन तुम्हारे लिए एक नया adventure है, बहुत पसंद है तुम्हे tour करना,
हर रोज़ एक नई memorable moment, tension को life से दूर करना,
Past एक सपना भर है ऐसा तुम कहते हो, जिसे खुली आंखों से तुमने देखा है,
Future एक कल्पना है तुम्हारे अनुसार, जो अभी तक हम सब से अनदेखा है,
Ego, attitude और self respect में फ़र्क़ करने वाले, आज तुम कहाँ हो,
तुम खुद के लिए कुछ भी हो पर हमारे लिए, तुम नही जानते तुम क्या हो.
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Tuesday, 6 November 2018

मैं नही, मेरा मन उदास है......

Just a drawing by me. I think you should check it out. Composing this poem was really a big challenge, and also getting a nice cover.
ये जो मुस्कुराता हुआ दिख रहा है ये मैं हूँ, भीतर मन की उदासी है,
वो चोट मेरे मन को बहुत दे चुकी है, लेकिन मेरे लिए ख़ुदा सी है,
ये emotions, ये feelings बस मेरे मन को आती है, मुझे नही,
शायद इसीलिए मन को आज भी किसी सच्चे मन की तलाश है,
मैं तो कब से बस यही कह रहा हूँ कि मैं नही हूँ, मेरा मन उदास है.
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जिसे सुनने की आदत हो गयी है, आज भी उससे बात करना चाहता है,
कुछ खुशियां, कुछ गम, कुछ पल share उसके साथ करना चाहता है,
न जाने क्या जिद है मेरे मन की मुझे भी समझ में नही आता कभी कभी,
वो जिसने block कर दिया है उससे message की आज भी आस है,
मैं तो कब से बस यही कह रहा हूँ कि मैं नही हूँ, मेरा मन उदास है.
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अक्सर मुझे जो अच्छा लगता है, मेरा मन उसे नकार देता है,
नकारने के पीछे अपने तुजुर्वे का हवाला वो हर बार देता है,
हमेशा अपने मन को ignore करके अपने दिल की सुनी मैंने,
पता नही क्यो मेरा दिल मेरे लिए मेरे मन से ज़्यादा खास है,
मैं तो कब से बस यही कह रहा हूँ कि मैं नही हूँ, मेरा मन उदास है.
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मेरे साथ वो दिखावे में हंसता नही है, मैं उसके साथ मुस्कुरा लेता हूँ,
मन रोने का नाटक नही करता, मैं उसके साथ भले गुनगुना लेता हूँ,
इसे नही पता कि लोग किसी को दुखी देखकर खुश होते है बहुत,
मेरी खुशी से जलने वाले लोगों की बातों में बहुत मिठास है,
मैं तो कब से बस यही कह रहा हूँ कि मैं नही हूँ, मेरा मन उदास है.
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जाना चाहता है ये सबसे दूर, वही जहाँ मेरे मन का मन लग सके,
जहाँ अपना तो कोई नही हो वैसे, फिर भी अपनापन लग सके,
यहाँ पर कोई अपना नही मानता, अपना कह सब लेते है भले ही,
कोई हो जो मन से मेरे मन को अपना ले बस इतनी सी प्यास है,
मैं तो कब से बस यही कह रहा हूँ कि मैं नही हूँ, मेरा मन उदास है
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