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A photo which shows two different faces of life.......... |
ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो, ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो,
कोई कविता सी हो, अपने लफ्जों में यादों का सागर समेटे हुए,
या किसी शायर की ज़िंदगी से जुड़ी खूबसूरत कोई कहानी हो,
ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो,........
तुम नीरस हो, तुम सरस हो, तुम ज़हमत हो, तुम सरल हो,
कुछ लोगो ने तुम्हें खुशहाली कहा, तो कुछ तुम्हें गमगीन कह गए,
जब आसरा छोड़ मुस्कुराहट का, तेरी दहलीज़ से उठने हो हुए,
कमाल के लोगों से मिलाया तूने, जो मेरी ज़िंदगी को हसीन कर गए,
ऐ ज़िंदगी जाने क्यू कई दफा, तुम मेरी होकर भी अनजानी हो,
ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो,............
बड़ा जद्दो जेहत भरा है उर्दू के अल्फ़ाज़ों से मुखातिब होना,
तुम्हारी रहमत में हमने देखि है महफिल-ए-मुशायरा भी,
ग़ज़लों के ये बेबाक से नज़्म, बड़े गुस्ताख़ हो गए है मुझसे,
इनसे रूबरू होते ही अब मैं भूल जाता हूँ अपना दायरा भी,
इतने अनुभव देने वाली तुम, किसी खुदा की मेहरबानी हो,
ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो,............
जो दोस्त तुमने दिये है मूझे, जब उनसे रिश्ता तोड़ना चाहा था,
ऐ ज़िंदगी तुझे बुरा नहीं लगा, जब किसी और को ज़िंदगी माना था,
तेरे कंधे को जब भिगोया था मैंने, तेरे ही दिए आंसुओं से,
तेरी बेरुखी पर मुझको रोना था, तेरी मासूमियत पर मुसकुराना था,
वो किसी खास शख्स की धुंधली तस्वीर जैसी, याद कोई पुरानी हो,
ऐ ज़िंदगी तुम कितनी सयानी हो,........
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