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This is an art of Shashikant Sharma. When not found a suitable cover for my poem, just drawn it. |
जब उसने पहली बार एंट्री ली, वो पल बहुत ही ब्यूटीफुल था,
तुम बात करने के मौके ढूंढ रहे थे, मैं निहारने में मसगुल था,
यूँ तो हम दोनों ही उसके आशिक़ है, जिसे वो नहीं जानती,
तुम करीब होने के बाद भी अगर दूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
हम दोनों चाहते है उसको, कि वो रोज पढ़ने के लिए आये,
हम चाहते हैं कि अंताक्षरी हो, और वो कोई गीत सुनाए,
मैं चाहता हूँ वो पैदल घर जाए, ताकि पूरे रास्ते उसे देख सकूं,
तुम खुद की बाइक पर उससे दूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
कही भी चले जाते हो अगर तुम, उसके ज़रा सी बुलाने पर,
मैसेज करते हो जाने कितने, उसके ऑनलाइन आने पर,
मेरे तो न कांटेक्ट लिस्ट में है वो, ना फ्रेंड लिस्ट में ही है,
छोटी बातों के लिए भी उसके मुखबिर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
तुम हर बार हँसा सकते हो उसको, अपने फालतू जोक्स सुनाके,
मैंने तो उसे देखा भी नही है कभी, नज़रो से नज़र मिलाके,
वो रो कर तुम्हे गले लगा ले, तो मुझे उसके आंसू दिखते है,
उसका टच पाकर तुम खुशी में चूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा हमें, दुगना खुश कर जाती है,
उसके आंसुओ की वजह तो वो, खुद रोकर तुम्हे सुनाती है,
मुझे तो उसके मायूस चेहरे की वजह भी पता नहीं चलती,
तुम सबकुछ सुनकर भी मजबूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
उसके आंखों की चमक को, मैं हर पल ही एहसास करता हूँ,
तुम बात कर लेते हो उससे, मैं उसके hi को ही याद करता हूँ,
मैं अनजान हूँ पर तुम जानते हो, वो किसी और पे मरती है,
*As a friend* अगर तुम मशहूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
उसे कैसा लड़का चाहिए ये बात, उसने तुम्हे कभी बताया है,
तुम्हारे भीतर वैसा ही बनने का, वाहियात सा खयाल आया है,
मैं जैसा हूँ कोई वैसे ही क़बूल कर ले मुझे, तो क्या बात,
और तुम्हारा प्रपोजल उसे नामंजूर हो, तो मैं सिंगल ही सही.
This also is an art of mine. Shown through this pictire how a single guy looks at his crush.
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