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Ek Confession Raat Ke Naam. |
चलो आज एक confession करता हूँ। वैसे तो मैं ज़्यादातर अपने confession अँग्रेजी में ही करना पसंद करता हूँ, ताकि किसी को समझ में ना आए। लेकिन ये वाला हिन्दी मे होगा। ताकि सबको समझ मे आए, और पूरा पूरा समझ मे आए। क्यूंकी ये दोस्त के बारे मे है, और पढ़ने वाले भी मेरे दोस्त ही है, और मैं इतना अच्छा नहीं लिखता अँग्रेजी की सभी लोग समझ जाए।
मेरे बहुत सारे दोस्त है। बहुत सारे मतलब बहुत सारे। बिलकुल। इसीलिए सभी लोग ताज्जुब भी रहते है। मेरे जैसे और भी बहुत लोग है, जिनको बहुत सारे दोस्त होते है। लेकिन सबलोग सबके साथ बराबर समय नहीं दे पाते। मैं खुद नहीं जानता मैं ये कैसे कर लेता हूँ। लेकिन जो भी है वो है।
घर में सबलोग परेशान रहते है मेरे इस बात से कि मैं अपने भविष्य के साथ मज़ाक कर रहा हूँ। अच्छे अच्छे लोग भी यही सलाह दे जाते है कि दोस्ती career बनाने के पहले थोड़ा सीमित ही रखना चाहिए। जब लाइफ मे कुछ कर लो तो फिर अपनी कमाई पर करते रहना दोस्ती, बनाते रहना दोस्त।
लेकिन मैं नहीं मान सका। खुद को नहीं रोक पाता हूँ फोन करने से, WhastApp या Facebook पर मैसेज भेजने से, पोस्ट करने से। यहाँ तक कि Facebook पर मेरा एक एल्बम भी है, दोस्तों के नाम से। और ग्रुप तो कई सारे बनाए और खतम किए। यही नहीं, कई ऐसे सेक्रेट्स भी हैं मेरे जिसे मैंने बचा कर रखा है। कई बार जब दोस्तों की किसी बात का बुरा लगा है तो मैंने खुद को संभाला जरुर है, लेकिन उस वजह को भी संभाल कर रखा है, और कभी कभी जब उनको देखता हूँ तो बड़ा ही तकलीफ होता है। लेकिन इन तकलीफ़ों को मैंने ही पाल रखा है।
अभी कुछ दिन पहले ही मैंने अपने सभी दोस्तों से एक प्रॉमिस किया था, कि उस दिन के बाद से कोई भी सेक्रेट्स नहीं रखूँगा। बोलने से पहले सोचुंगा नहीं कि बोलने के बाद सामने वाले को बुरा लगेगा या अच्छा लगेगा। बोलने से पहले ये नही सोचुंगा कि ये मुझे बोलना चाहिए या नहीं। बात करते टाइम कभी भी दोस्तों के किसी बात का बुरा भी लगा तो उसे उसी टाइम बता दूंगा, रिकॉर्डिंग करके नहीं रखूँगा, और ना ही स्क्रीनशॉट रखूँगा। क्यूंकी कभी कभी जब बाद मे उन सब रिकॉर्डिंग को सुनता हूँ, या स्क्रीनशॉट को देखता हूँ, तो बहुत ही तकलीफ होती है। कई बार तो मुझे ये लगने लगा है कि दुनिया मे सब फरेबी है। जबकि बाद मे गहराई से सोचने पर मेरी भी गलती निकाल ही जाती है।
यही वजह है। शुरू शुरू में मैं बहुत ही ज़्यादा या फिर कहें कि एक Introvert हुआ करता था। और पढ़ाई का कीड़ा भी। इसके अलावा मुझे कविता कहानी का शौक था, और भगवान का दिया हुआ एक talent था, painting और drawing का। सब इसीलिए मुझे बहुत पसंद करते थे। पढ़ाई में थोड़ा अच्छा होने के कारण स्कूल से लेकर हाइ स्कूल तक मेरा एक अलग ही पहचान था। लेकिन स्कूल में ही कुछ दोस्त मिल गए। उन सबमे मेरा एक ही सबसे करीबी दोस्त था। उसके साथ जितना बन पड़ा मैंने मस्ती से लेकर खेल कूद और पढ़ाई सब की। लेकिन हमारी दोस्ती को लगी नज़र, वो भी लड़कियों की नज़र। और आंठ्वी क्लास तक आते आते हमारी दोस्ती का break-up हो गया। वो पढ़ने के लिए हाइ स्कूल चला गया, क्यूंकी वो सीनियर था, और मैं रह गया अपने मिडिल स्कूल मे ही।
दोस्ती यूं ही नहीं टूटी थी। ये एक शजिस थी। कईयों ने आकर रोज मुझसे मेरे उस दोस्त के बारे मे एक गलत धारणा देना शुरू कर दिया। रोज मुझे उसकी शिकायत सुनाते, रोज उससे दूर रहने को बोलते, रोज उसको लेकर कोई नयी कहानी बनाकर लाते। और इस तरह जब उसने मिडिल स्कूल से अपना TC लिया, उस दिन से हमारी और उसकी दोस्ती बंद।
मैं देखता था उसकी आँखों मे एक उम्मीद, कि शायद मैं बोल पड़ूँ उससे। लेकिन ये हो नहीं पाया। मेरे भीतर जो उसके प्रति एक घृणा कि भावना भरी हुई थी, उसने मुझे उससे बोलने ही नहीं दिया। उसने मुझे बराबर शक्ति दिया, कि उसकी मासूमियत को नज़रअंदाज़ करके मैं रोज उसके रास्ते से आगे बढ़ जाता था, और वो मेरा चेहरा देखता रह जाता था। और मेरा स्कूल मे एक रोब था। मेरा attitude मेरे औकात से ज़्यादा था। ये बात मेरे दोस्त को भी पता था। इसलिए उसने भी कभी पहल नहीं किया। उसने कभी हिम्मत ही नहीं किया मुझसे बात करने की।
इसके बाद मेरे कुछ और दोस्त हुए। उसी एक साल मे। मिडिल स्कूल मे ही जब मैं अकेला पड़ गया तो मैंने कुछ दोस्त बना लिए। लेकिन हर महीने मेरी दोस्ती टूटती थी, और फिर एक दोस्त बनता था। फिर दरार आती, फिर दोस्ती होती, फिर दरार आती। एक दोस्त के जाते ही दूसरा दोस्त, फिर दूसरे के बाद तीसरा। और मेरे उस जिगरी दोस्त के हाइ स्कूल जाने के बाद सिर्फ एक साल में मैंने करीब 26 दोस्त बनाए। और 26 में से पूरे 26 से break-up भी हुआ और फिर 6-7 से वापस दोस्ती हो गयी। लेकिन फिर मैं भी हाइ स्कूल में चला गया। और दोस्ती थोड़ी कम हो गयी।
कुछ का ये भी मानना है कि मिडिल स्कूल में मेरा किसी लड़की पर crush था। और उससे अपनी setting करवाने के लिए मैं लड़को को अपना दोस्त नहीं, बल्कि post-man बना रहा था। इसीलिए मेरी दोस्ती टूटती भी थी, और दोस्ती होती भी थी। लेकिन मेरे भाई, पहली बात तो ये, कि मुझे उस समय पता भी नहीं था कि crush क्या होता है। और मैं अपनी पढ़ाई और अपने passion को लेकर इतना सिरियस था, कि दूसरा कुछ मुझे दिख ही नहीं रहा था। और गाँव की लड़कियों के बारे में ऐसा कौन सोचता है भला???
दूसरी बात ये, कि जैसा कि मेंने बताया, कि मेरा attitude मेरे औकात से ज़्यादा था। इसलिए लड़कियां भी ना तो मुझसे बोलना चाहती थी, और ना ही crush जैसा कुछ था।
मिडिल स्कूल से निकलने के बाद लड़के पढ़ाई को लेकर थोड़ा सिरियस हो जाते है। और फिर मैं तो अपने पहली क्लास से ही सिरियस था पढ़ाई के मामले में। तो मेंने दोस्ती को साइड किया, और फिर से पढ़ाई शुरू। फिर से एक introvert वाली life। एक boring लाइफ। कारण ये भी था कि नए लोग मिल रहे थे। उनसे बात शुरू करने में थोड़ा अजीब महसूस हो रहा था। और इस तरह अपने 2 साल के हाइ स्कूल को पूरा करते करते मैं वापस से एक introvert हो चुका था।
फिर intermediate में मेरे कुछ दोस्त बने। वो दोस्त भी उन्हीं के वजह से बने। मैंने उनसे दोस्ती नहीं की बल्कि उन्होने मुझसे दोस्ती की थी। ये दोस्ती अभी तक चल रही है। लेकिन आजकल (आप पोस्ट की date ज़रूर देख लें) लग रहा है कि हमारी दोस्ती में थोड़ी सी डगमगाहट आ गयी है। लग रहा है कि जैसे सबलोग अलग हो रहे हैं। लग रहा है कि जैसे मैं सबसे दूर हो रहा हूँ, और लगा रहा है जैसे मेरी वजह से हमारा ग्रुप ही खतम हो जाएगा।
मैं थोड़े दिन के लिए दिल्ली गया था, तो मैंने सबको बोल दिया था कि बात नहीं हो पाएगा, टाइम नहीं मिल पाएगा। वजह अगर कहीं घूमने गए हो तो घूमोगे, फोटो-सेलफ़ी वगैरह लोगे। फोन पर बात थोड़ी कारोगे। और चूंकि वहाँ पर हमारे काफी सारे रिश्तेदार भी हैं, तो उनके पास जाओगे तो थोड़ा गाँव घर कि बात करोगे, थोड़ा हंसी मनोरंजन होगा। फोन पर लगे रहोगे तो लोग क्या कहेंगे। तो मैंने सबको बोल दिया कि दिल्ली से वापस आ जाऊंगा तो शायद बात हो पाएगी, और वहाँ भी अगर टाइम मिल गया तो बात कर ल्ंगा।
जब मैं गाँव आया तो क्लास का जितना भी छुट गया था, वो सब recover करने के चक्कर में टाइम नहीं दे पाया। और फिर मेरा फोन गुम हो गया, तो इस वजह से भी थोड़ा mentally disturbed हूँ। मैं अभी तक खुद को उस हादसे से वापस नहीं ला पा रहा हूँ। तो ऐसे में मैं नहीं समझता कि अगर मैं दोस्तो को समय नहीं दे पा रहा हूँ तो मेरी कहीं गलती है।
लेकिन, मेरे कुछ दोस्तो ने इस बात कि गांठ कर ली है, कि भाई, दिल्ली जा रहे हो तो बिज़ि रहोगे, और गाँव आ गए तब भी बिज़ि ही हो। अब तुम बिज़ि इंसान हो गए हो। हमें ना तो मैसेज करते हो, न फोन करते हो, ना ही हमारे मैसेज का पहले जैसे तुरंत रिप्लाइ करते हो।
हाँ भाई, मैं नहीं करता रिप्लाइ, और नहीं करता फोन। और अगर तुम्हें लगता है तो ठीक है, नहीं करनी मुझे किसी से बात। वैसे भी मैं एक Introvert था, और बीच में भी कुछ दिन Introvert की लाइफ मेंने जी है, और आगे भी जी सकता हूँ। मेरी दोस्ती अब नहीं चलती। क्यूंकी मैं किसी को दोस्त बनाना ही नहीं चाहता। और अगर दोस्त बनते भी है तो डर लगा रहता है break-up होने का। इसीलिए कभी कभी sacrifice भी कर लेता हूँ, उनके किसी किसी बात का बुरा भी नहीं मानता, और अगर मानता भी हूँ तो उसे जाहीर नहीं करता और खुद में ही रख लेता हूँ।
मेरा कभी भी कोई एक दोस्त नहीं हुआ है। क्यूंकी जब भी मैंने सिर्फ एक दोस्त से ज़्यादा दोस्ती निभाई है, तब तब हमारी दोस्ती का break-up हुआ है। मैं इसी लिए एक से ज़्यादा दोस्तों से दोस्ती करता हूँ, और सबके साथ बराबर टाइम देता हूँ। ताकि दोस्ती बनी रहे, और किसी की नज़र ना लगे।
और नज़र लगने का कुछ नहीं है। मैं खुद ही बहाने ढूँढता हूँ, शक करता हूँ दोस्तों पर, उनके साथ कभी कभी बेकार सा मज़ाक कर देता हूँ जो मुझे नहीं करना चाहिए, और कई बार तो गुस्सा भी हो जाता हूँ उनकी बातों पर, उनके plan पर मैं कभी agree नहीं करता और खुद को हमेशा सही साबित करने की कोशिश करता रहता हूँ। इसीलिए मेरी दोस्ती अब नहीं चलती।
Bro, मुझे पता है कि मैं हर बार सही नहीं हो सकता हूँ। ये तो तुमलोग हो जिसने मुझे अभी तक अहसाह नहीं होने दिया और ज़रा सा भी महसूस नहीं होने दिया मेरे पहले वाले दोस्त की कमी का। लेकिन बीते कुछ दिनों से फिर से यही लग रहा है कि एक बार फिर से मेरा कोई भी दोस्त नहीं होगा, और फिर से मेरी दोस्ती टुकड़ों में होगी, थोड़े थोड़े दिनों के लिए। और अगर ऐसी नौबत आई ना, तो बता रहा हूँ मैं, कि मेरी किसी से दोस्ती नहीं होगी।
बाकी बस, इतना ही था। मुझे भी नहीं पता ये लिखने के पीछे क्या कारण है। मैंने ये क्यूँ लिखा, मुझे खुद नहीं पता है। तुमलोगों को जो वजह मिले, समझ लेना, मुझसे पूछना मत।
मैं थोड़े दिन के लिए दिल्ली गया था, तो मैंने सबको बोल दिया था कि बात नहीं हो पाएगा, टाइम नहीं मिल पाएगा। वजह अगर कहीं घूमने गए हो तो घूमोगे, फोटो-सेलफ़ी वगैरह लोगे। फोन पर बात थोड़ी कारोगे। और चूंकि वहाँ पर हमारे काफी सारे रिश्तेदार भी हैं, तो उनके पास जाओगे तो थोड़ा गाँव घर कि बात करोगे, थोड़ा हंसी मनोरंजन होगा। फोन पर लगे रहोगे तो लोग क्या कहेंगे। तो मैंने सबको बोल दिया कि दिल्ली से वापस आ जाऊंगा तो शायद बात हो पाएगी, और वहाँ भी अगर टाइम मिल गया तो बात कर ल्ंगा।
जब मैं गाँव आया तो क्लास का जितना भी छुट गया था, वो सब recover करने के चक्कर में टाइम नहीं दे पाया। और फिर मेरा फोन गुम हो गया, तो इस वजह से भी थोड़ा mentally disturbed हूँ। मैं अभी तक खुद को उस हादसे से वापस नहीं ला पा रहा हूँ। तो ऐसे में मैं नहीं समझता कि अगर मैं दोस्तो को समय नहीं दे पा रहा हूँ तो मेरी कहीं गलती है।
लेकिन, मेरे कुछ दोस्तो ने इस बात कि गांठ कर ली है, कि भाई, दिल्ली जा रहे हो तो बिज़ि रहोगे, और गाँव आ गए तब भी बिज़ि ही हो। अब तुम बिज़ि इंसान हो गए हो। हमें ना तो मैसेज करते हो, न फोन करते हो, ना ही हमारे मैसेज का पहले जैसे तुरंत रिप्लाइ करते हो।
हाँ भाई, मैं नहीं करता रिप्लाइ, और नहीं करता फोन। और अगर तुम्हें लगता है तो ठीक है, नहीं करनी मुझे किसी से बात। वैसे भी मैं एक Introvert था, और बीच में भी कुछ दिन Introvert की लाइफ मेंने जी है, और आगे भी जी सकता हूँ। मेरी दोस्ती अब नहीं चलती। क्यूंकी मैं किसी को दोस्त बनाना ही नहीं चाहता। और अगर दोस्त बनते भी है तो डर लगा रहता है break-up होने का। इसीलिए कभी कभी sacrifice भी कर लेता हूँ, उनके किसी किसी बात का बुरा भी नहीं मानता, और अगर मानता भी हूँ तो उसे जाहीर नहीं करता और खुद में ही रख लेता हूँ।
मेरा कभी भी कोई एक दोस्त नहीं हुआ है। क्यूंकी जब भी मैंने सिर्फ एक दोस्त से ज़्यादा दोस्ती निभाई है, तब तब हमारी दोस्ती का break-up हुआ है। मैं इसी लिए एक से ज़्यादा दोस्तों से दोस्ती करता हूँ, और सबके साथ बराबर टाइम देता हूँ। ताकि दोस्ती बनी रहे, और किसी की नज़र ना लगे।
और नज़र लगने का कुछ नहीं है। मैं खुद ही बहाने ढूँढता हूँ, शक करता हूँ दोस्तों पर, उनके साथ कभी कभी बेकार सा मज़ाक कर देता हूँ जो मुझे नहीं करना चाहिए, और कई बार तो गुस्सा भी हो जाता हूँ उनकी बातों पर, उनके plan पर मैं कभी agree नहीं करता और खुद को हमेशा सही साबित करने की कोशिश करता रहता हूँ। इसीलिए मेरी दोस्ती अब नहीं चलती।
Bro, मुझे पता है कि मैं हर बार सही नहीं हो सकता हूँ। ये तो तुमलोग हो जिसने मुझे अभी तक अहसाह नहीं होने दिया और ज़रा सा भी महसूस नहीं होने दिया मेरे पहले वाले दोस्त की कमी का। लेकिन बीते कुछ दिनों से फिर से यही लग रहा है कि एक बार फिर से मेरा कोई भी दोस्त नहीं होगा, और फिर से मेरी दोस्ती टुकड़ों में होगी, थोड़े थोड़े दिनों के लिए। और अगर ऐसी नौबत आई ना, तो बता रहा हूँ मैं, कि मेरी किसी से दोस्ती नहीं होगी।
बाकी बस, इतना ही था। मुझे भी नहीं पता ये लिखने के पीछे क्या कारण है। मैंने ये क्यूँ लिखा, मुझे खुद नहीं पता है। तुमलोगों को जो वजह मिले, समझ लेना, मुझसे पूछना मत।