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एक मां का अपने बाहर रह रहे बेटे को फोन कॉल |
नमी में त ना अईल काहाला के बाद भी,
असरा तोहार देखत रही दशहरा के बाद भी,
लेकिन अबकी बे बॉस अगर ना दिहे छुट्टी त
कवनो इमोशनल बाहाना बनइब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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चलल नईखे जात अब, दरद बा गोड़ में,
उठे के मन नईखे करत, खटिया पर से भोर में,
घर के साफ सफाई कसहू कर देनी अकेले बाकी,
छत पर दिवाली के दिया जरइब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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बाकी लोग दिवाली में, आवे लऊवे घरे,
तीन साल से नईख आवत, बाड़ तू बहरे,
धनतेरस में सोचले बानी लेहब एगो कराही,
गोधन के दिन त अमर पीठ खईब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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तोहारा बाबूजी से कही कुछ फल त मांगा लेब,
घाट नाहियो रही त कतही चटाई बिछा लेब,
बाकी जाता पिसे के बेरा जब गाइब हमहू गीत त,
आपन नाम सुन-सुन के मस्कुरइब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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रतिया में गांव घर में के बांटी खरना के खीर,
जानते बाड़ गांवे मंदिर पर केतना होखेला भीड़,
पंडिजी जब देरी करिहे अरघ देवे के बेरा पर त,
तू अपना हाथे हमरा के अरघ दियवईब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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पतोह त हमार हइले नईखे कि लागी मोरा मन,
तीन दिन बुझ जा बबुआ जे देखहू के ना बा अन्न,
तू रहब त छने सेल्फी लेब आ छने हंसी-मज़ाक करब,
कवनो तरी हमार मन त तू लगइब नू??
आ छठ आ गईल बा कि एसो छठ में अइब नू??!!
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