कल उस रस्ते से गुजरा मैं, जिस रस्ते में उसका घर पड़ता है. याद नहीं क्या, वही घर, जिसकी खिड़कियाँ मुझे मायूस कर देती हैं, हर रोज. ओ, तो मतलब आपने मुझे YourQuote पर नहीं पढ़ा शायद. कोई बात नहीं, link दिया हुआ है मैंने अपने id का, पढ़ियेगा. और कल तो मैं ऐसे समय पर गया था, जब हर तरफ दिये जगमगा रहे थे. कल मेरी bike की speed फिर से 30 थी. शुरूआती कारण शायद ये था कि मुझे ठण्ड लग रही थी.
ठण्ड के बारे में मुझे के बात अच्छी लगती है. ये बहुत ही ऊँचे सिद्धांत वाली है. ठंढ भी उस समय तक लगती है, जब तक आप ठण्ड के बारे में सोच रहे हैं. ठण्ड को भूल जाने के बाद ठण्ड नहीं लगती. और उसके घर के पास से गुजरते ही मैं भूल गया मुझे ठण्ड भी लग रही थी.
पर क्या है न, किसी भी चीज़ को भूल जाना इतना आसान नहीं होता. उसके लिए किसी और चीज़ को याद में लाना पड़ता है. किसी चीज़ को भूल जाने के लिए किसी दुसरे की याद में खो जाना पड़ता है, किसी दुसरे चीज़ में खुद को गुम करना पड़ता है. और अगर मैं कह रहा हूँ कि उसके घर के पास से गुजरते ही मैं ठण्ड को भूल गया, तो जाहिर है मैं भी किसी और याद में, किसी और विचारो में खोया होऊंगा.
और किसी और विचारो में खोना, वो भी उसके घर के सामने से गुजरते ही!!!! कहीं मैंने उसे ही तो नहीं देख लिया!!! हो भी सकता है. क्योंकि मेरे साथ ये हमेशा ही हुआ है कि एक ख़ास शख्स को देख लेने के बाद मैं उसे देखता नहीं रह जाता, बल्कि उसके बारे में कई सारी बातें, उससे जुडी कई सारी यादें, सब कुछ जेहन में एक साथ आने लगता है. और तब मेरे लिए उस शख्स को देखने से ज्यादा important ये हो जाता है कि दिमाग में जो यादों का Traffic Jam लगा है, पहले उसे clear कर लूँ.
तो ये भी हो सकता है कि उसके घर के सामने से गुजरते हुए मेरी नज़र किसी चीज़ पर पड़ी, और फिर मैं उसके ही बारे में सोचता हुआ, अपनी उलझनों को सुलझाता हुआ आगे बढ़ गया, और ठण्ड के बारे में भूल गया. मुझे साफ साफ याद है कि bike मैं ही चला रहा था. और सामने आने वाली चीजों को ठीक से observe भी कर रहा था. क्योंकि शाम के समय ये तय कर पाना मुश्किल होता है, कि सामने दिख रहे दो headlight किसी एक four wheeler के हैं या दो two wheelers के.
उसके घर से गुजरते वक़्त मैंने नीचे Main Gate से लेकर ऊपर आख़िर तक में देखा था. और अगर आप एक maths के student हैं तो आपके लिए ये calculate करना मुश्किल नहीं है कि 30 kmph के speed से किसी 10 foot चौड़ाई वाले घर को cross करने में 0.53 second का समय लगता है, अगर bike कि लम्बाई (4.5 foot) को भी शामिल कर दें तो. और अगर घर की चौड़ाई के बारे में कोई संदेह हो, तो मैं बताना चाहूँगा कि मैं सिर्फ उस एक हिस्से की बात कर रहा हूँ, जिसकी खिड़कियाँ मुझे मायूस कर देती हैं. वो हिस्सा जिसके खिडकियों पर हमेशा ही पर्दा टंगा होता है.
कल देखा मैंने उसे, दिये जलाते हुए. और मुझे यकीन है मैंने उसे ही देखा है, जिसको देखने के लिए मैंने उधर देखा था. सबसे ऊपर वाले छत के railing पर, एक दिये से बाकि दिये को भी जलाने की उसकी कोशिशों में आज पवन भी उसके साथ था. पिछले साल यही काम मैं कर रहा था, तो हवा के कारण मुझे समय ज्यादा लग गया था, और ऐसे में मेरे पटाखों को थोडा ज्यादा देर तक इंतज़ार करना पड़ा था.
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यह एक Representing तस्वीर है. |
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यह एक Representing तस्वीर है. |
मिट्टी के ये दिये जिन्हें एक निश्चित अनुमानित दुरी पर रखती हुई वो अच्छी लग रही थी. अच्छी लगने के पीछे वजह थी रात. दीयों की रौशनी इतनी शांत शांत सी थी, कि उतने रौशनी में अच्छे से सिर्फ उसकी कलाई दिख रही थी. Light की 100% opacity में सिर्फ उसकी कलाई दिख रही थी, जिस हाथ से उसने वो दीया पकड़ा हुआ था. बाकि 65% opacity में गले से ऊपर का उसका चेहरा. और उस 65% opacity वाले light में भी उसके चेहरे के उभार (जैसे गाल, नाक और माथा) पर रौशनी थोड़ी तेज़ थी.
या तो मैंने उसका dress देखा नहीं, Low light की वजह से, या तो मुझे याद नहीं है. क्योंकि अगर मुझे याद होता तो मैं बताता कि उसने पहना हुआ था एक ग्रे रंग का गाउन फ्रॉक. कल उसने अपना मुंह नहीं ढक/बांध रखा था अपने दुपट्टे से, बल्कि उस दुपट्टे को उसने रखा हुआ था सिर्फ एक कंधे से, जो दोनों तरफ से जमीन को छू रहा था. और इससे पता चल रहा था उसका कद. मैं बताता कि उस धीमी रौशनी में उसके curl अच्छे लग रहे थे.मैं बताता कि उसने जो नीले रंग की सैंडल पहनी हुई थी, उसके glitter चमक रहे थे. उसका वो एक नग वाला nosepin, और उसके कानों में झूलते हुए उसके हाथ की चूड़ी के आकार के झुमके, उसके फ्रॉक के गले का design और फिर उसके गले का वो necklace, एक तरफ से नीचे तक दुपट्टा, और एक तरफ 4 inch sleeve के बाद की कसीदाकारी, कमर में एक belt जो शायद उस फ्रॉक के साथ में मिला था, और चेहरे पर smile, इस combination को ठीक ठीक बता पाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.
पहले मंजिल पर दीया जलाने की जगह के नाम पर सामने वाली खिड़कियाँ थी. और ये वही खिड़कियाँ हैं. तो इसपर आज भी पर्दा लगा हुआ था, इसलीये कोई दीया नहीं था इनके ऊपर. हाँ पर उस झिल्लीदार पर्दे से ये तो पता चल ही रहा था कि अन्दर कमरे में रौशनी काफी तेज़ थी. इन वफादार पर्दों के बारे में मैंने लिखा था कि:-
"उन पर्दों से वो पूरा काम ले रहे हैं त्योहारों में,
जब से हम दिखने लगे हैं उनके गलियारों में..."
मैंने देखा उसे छुरछुरी जलाते हुए, और उसे बिना हवा में घुमाए चुपचाप बुझने तक देखते हुए. Sparkling से निकलने वाले धुए से वो खुद को छुपाना चाहती थी, या फिर रौशनी को एक ही जगह रख कर वो खुद को दिखाना चाहती थी.
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यह एक Representing तस्वीर है. |
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वापस से उसी dress code के साथ उसके हाथों में ये छुरछुरी, और उससे भी ज्यादा उसके आँखों में चमक. क्योंकि कई बार इंसान होठों पर मुस्कान का नाटक कर सकता है. ऐसे में उसकी ख़ुशी का गवाह उसकी आँखे ही होती हैं. और कल वाली आँखों में चमक थी, नमी नहीं.
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उसके आँखों में चमक थी, शायद ये देख कर, कि हर तरफ लोग खुश नज़र आ रहे हैं.
कल मैंने उसे sky lantern हवा में छोड़ते देखा. वो जिसकी रौशनी में फिर से दिख रहे थे उसके हाथ, और उसका चेहरा. वो जिसे हवा में छोड़ देने के बाद उसने काफी देर तक नज़रों से उसका पीछा किया. और उस पल उसकी ख़ुशी, मैं महसूस भी नहीं कर सकता, बताना तो दूर की बात है.
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यह एक Representing तस्वीर है. |
मैंने कहा कि मैंने उसे देखा Lantern हवा में छोड़ने के बाद काफी दूर तक उसको देखते हुए, उसका पीछा करते हुए. मैंने उसे देखा दीया जलाते हुए. मैंने उसे देखा छुरछुरी जलाते हुए. इतना सबकुछ देखने के लिए तो उसके घर के सामने खड़े होकर, छत की ओर मुंह करके बिना पलके झपकाए कम से कम आधे घंटे देखना पड़ेगा. और मैंने ये भी कहा कि उस घर को 30 kmph के speed से cross करने में सिर्फ 0.53 second लगते हैं.
आधे घंटे रुकना मेरे लिए मुश्किल था, इसलिए भी क्योंकि उसी घर में एक दुसरे हिस्से में एक परिवार था, जो Ground Floor पर अपनी दिवाली मना रहा था, selfie ले रहा था, पटाखे छोड़ रहा था. ये देखकर कि उस परिवार में एक बालिका थी, और मेरा रुकना उस परिवार के लिए एक concern हो सकता था, मैं सीधा अपनी speed से आगे निकल गया.
अगर मैं और बढ़िया से बताऊँ, तो उसके घर से मेरे घर की दुरी उसी रफ़्तार से 4 मिनट की है. और अँधेरे रस्ते में मैं आधे घंटे रुक नहीं सकता. तो मतलब मैंने घर आने के बाद उसको देखा है, अपनी कल्पनाओं में. कल उसके घर के पास से गुजरते वक़्त जब उसके घर पर मेरी नज़र गयी, तो एक बार में मैंने देख लिया कि कहीं कोई रौशनी नहीं जल रही थी, अँधेरा था. बगल के घर से पड़ने वाली light से पता चल रहा था कि वो पर्दा आज भी लगा हुआ था.
तो कल दिवाली के दिन भी उस घर में मैंने अँधेरा देखा, जिसकी खिड़कियाँ मुझे अक्सर ही मायूस कर देती है. आस पड़ोस के घरों में तो काफी चहल पहल थी. मैंने देखा, उसी घर के दुसरे हिस्से में काफी रौशनी थी. घर के सदस्य काफी खुश थे, Selfies ली जा रही थी, छुरछुरी जलाई जा रही थी. घर के जिस दुसरे हिस्से में रौशनी थी, उसे देख कर लग रहा था मानो दिवाली सचमुच बहुत खुबसूरत होती है.
हर रोज की मायूसी एक तरफ है, और कल की मायूसी एक तरफ. पर क्या है न, अच्छा है. कल अगर रोज वाली मायूसी होती, तो मन ज्यादा ही मायूस होता. अच्छा हुआ कल वाली मायूसी रोज वाले मायूसी जैसी नहीं थी. ये थोडा अजीब है, लेकिन मेरे Point of view से सच है. क्या है न, हम हैं कवि किस्म के. और कवियों के लिए एक कहावत है- "जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि".
तो उसके नहीं दिखने से मायूस होने से बढ़िया है मन में उसकी एक अच्छी वाली तस्वीर बना लो.
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