Saturday, 25 August 2018

तो आओ, सुनी है मेरी कलाई

बंधन प्यार का, भाई बहन का नही.

अगर कोई वचन तो दूर दिलासा तक नहीं दे सकता तुम्हारी हिफाज़त का,
तो बांध दो मेरी कलाई पर राखी, इंतज़ार मत करो मेरी इजाजत का,
अगर कोई हाथ आगे नहीं आता की दे दे तुम्हें, थोड़े तोहफे तुम्हारी राखी की बंधाई,
तो आओ, बांध दो राखी मुझे और आशीष लेलों, कबसे तो सुनी है मेरी कलाई.
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इन बाजुओ ने तोहफे भर की कमाई नहीं की है, सिर्फ आशीर्वाद दे सकते है ये,
तुम्हारे चेहरे पे एक मुस्कान का इनाम तो सर-ए-आम दे सकते है ये,
भाई कोई अपना नहीं है तो क्या हुआ, क्या हिफाज़त के लिए ज़रूरी है एक भाई?
अगर तुम्हें ऐसा ही लगता है तो ये ही सही, आओ सुनी है मेरी कलाई.
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माँ पापा से हिफाज़त करती हो तुम मेरी, और तुम्हारी हिफाज़त हम करे?
अगर ये रिवाज है तो पूरा करो शौक से, हम बंधवा लेंगे ये भी अपनी आंखें नम करे,
भाई ने भी हिफाज़त करी है कई बार मेरी, तो ये रिवाज़ तुम्हारे लिये है मेरे भाई,
आओ आज सिर्फ रिवाजो को ही पूरा करते है, आज सुनी है मेरी कलाई.
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हिफाज़त तो बीवी को भी चाहिए, हिफाज़त माँ को भी चाहिए,
हिफाज़त अपनी बहन को ही क्यों, ये तो ज़माना को चाहिए,
हिफाज़त के लिए धागे बांधे सब तो, भगवान ने इतनी छोटी हाथ क्यों बनाई,
अगर कुछ लोगों को ही इसकी जरूरत है तो, आओ सुनी है मेरी कलाई.
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महंगे राखी बांधने वाली लड़कियाँ ज़्यादा सुरक्षित होती है,
या शायद हमारे राखी में बड़े लोगो के जितनी ताक़त नही होती है,
सस्ते तो हमेशा ही हार जाते है, जब होती है इनकी महंगे से लड़ाई,
पर एक उम्मीद कायम रखकर हर बार की तरह, सुनी है मेरी कलाई.
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क्या रक्षा हम उसी की करेंगे जो हमारी कलाई पर राखी बांधेगी?
जो हमारे थोड़े से पैसो को ठुकरा कर, हमसे कोई बड़ा सा तोहफा मांगेगी?
तो फिर देश की किसी भी माँ-बहन-बेटी को देश के रखवालों की याद नहीं आई?
इंतज़ार तो उन्हे भी है किसी प्यार, दुआ भरी राखी का, सुनी है उनकी कलाई.
I am sorry. I know I could be charge for copyright. But this is not for my publication. This is something about nation. People should be to think about this.

This image may subject to copyright. And I am sorry for this.

Wednesday, 15 August 2018

आजाद हो तुम.....

पूरी तरह आजाद हो तुम.....

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तिरंगा झंडा खरीदा तो ज़रूर होगा तुमने?
मस्ती में लहराया भी होगा उस झंडे को.
अगर उसी झंडे को अगले साल भी लहरा दो आसमान में तो समझू
तुम आजाद हो इसकी रक्षा के लिए हमेशा.
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कभी खेतो में काम करते देखा है किसानों को?
कुछ तो आज भी लगे होंगे खाद-बीज डालने में.
कभी पानी पीने को पूछा हो उनसे या दिया हो अपने मन से तो जाने
तुम आजाद हो किसी को पानी पिलाने के लिए.
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कभी गए हो बिन बताये अपनी खुशियों की खोज में?
दोस्तों के साथ सिनेमा हॉल या और कहीं खेलने.
घर मे मां या पापा को बता के गए जाते हो तो समझूँ मैं,
तुम आजाद हो उनसे बात करने के लिए.
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कभी राखी बंधवाई ही होगी कलाई पर बहन से?
किसी अनजान से तो कभी मिलते भी नही होंगे तुम इस दिन.
किसी गैर लड़की को अपनी कलाई बढ़ाओ राखी बांधने के लिए तो जानू
तुम आजाद हो उसकी सच्ची हिफाजत करने के लिए.
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अपने घर से कभी मेला में या सड़को पे तो ज़रूर गए होगे?
गाड़ियों की संख्या पे खूब झल्लाते होंगे तुम?
कभी बिना काम के गाड़ी चलाना बन्द कर दो तो समझे हम,
तुम पैदल चलने के लिए आजाद हो.
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नेताओं पे बहुत गुस्सा आता होगा न तुम्हें?
तुम तो बहुत कभी कभी अपने विचार भी देते होंगे देश के लिए?
कभी घर के मुद्दों पर साथ मे बात चीत की हो तो कहो,
तुम घरेलू मामलों में अपना विचार देने के लिए आजाद हो.
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तुम्हे मुबारक हो तुम्हारी एक्सपर्ट जैसी driving.
भगवान करे तुम्हे कभी कुछ भी नही हो.
लेकिन जिन्हें अचानक से संभालना नही आता उनके लिए ही सही,
तुम आराम सड़क नियमों का पालन करने के लिए आजाद हो.
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तुम्हें किसी ने नही कहा सजा मत दो,
लेकिन बिना अधिकार के सजा मत दो कभी.
अगर जिद है सजा देने की तो जाओ आज,
तुम अधिकार पाने के लिए कोशिश करने के लिए आजाद हो.
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ये नया नया पर शौक चढ़ा है ना तुम्हे प्रेम का?
कभी किसी से जबरदस्ती भी करी होगी?
अगर कभी किसी की इज्जत बचा दो और उसकी नज़रों में ऊंचे हो जाओ तो जाने हम,
किसी से प्यार पाने के लिए तुम आजाद हो.
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देश को अगर कभी तुम्हारी ज़रूरत होती है तो जाओ,
तुमने बहुत ज़्यादा मेहनत की तभी तो चुने गए हो?
लेकिन अब जितना कहा जाए उतना ही ठीक से कर दो तो जाने,
तुम ईमानदारी से duty करने के लिए आजाद हो.
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