Wednesday, 24 October 2018

थोड़ा और करीब आते है......

I think this cover describes my tittle exactly.
This is just an art, by me. Not intended to interfere anyone's social or individual life.
I was trying to find a nice cover, and then created my own.


हाँ, थोड़े थके हुए से लग रहे हो तुम, थोड़ी बुझी हुई सी मैं भी हूं,
तुम घुमावदार कोई पहेली हो, थोड़ी अनसुलझी हुई सी मैं भी हूँ,
थोड़ा excitment ज़रूर है पर थोड़ी शरमाहट भी हो रही है,
थोड़ा सा साथ अगर तुम दे दो तो इसे मिलकर आसान बनाते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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अच्छा लगता है हर minute तुम्हारे फ़ोन का wait करना,
phone की हर ring पर तुम्हारे call को expect करना,
तुम्हारे वापस आने तक तो शिकायतों की list बन जाती है,
पर तुम्हारे झप्पी वाली Sorry के साथ ही, सब हवा हो जाते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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बहुत अच्छा लगता है हर रात तुम्हारे साथ बाहों में सोना,
अच्छा लगता है तुम्हारा चेहरा देखकर मेरी हर सुबह का होना,
सुबह उठ कर तुम्हे चूमना, दुनिया की सारी खुशी से बढ़कर है,
ये feeling बस ही तुम्हारे वापस आने तक मेरा दिन बनाते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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बताना चाहती हूं कि मेरे दिल में, Free के किरायेदार हो तुम,
नही जानते कि मेरी बेपनाह मोहब्बत के अकेले हक़दार हो तुम,
कहने को बहुत कुछ है पर तुम्हारे सामने भूल जाती हूँ सबकुछ,
मेरी feelings मेरे लबों से बाहर आ ही नही पाते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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तूम्हारी हमसफर हूँ मैं, तुम्हारी अच्छी दोस्त भी और हमदर्द भी,
पहली बारिश अच्छी लगेगी तुम्हारे साथ और पहली सर्द भी,
तुम्हारे सुख-दुख में तुम्हारा साथ मैं दूंगी हमेशा जान लो,
परेशानियां भले तुम्हारी हो, पर मुझे भी उतना ही सताते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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तुम समझ पाओगे नही शायद तुम्हारी चोट पर रोना मेरा,
शायद ही सुन पाओ पास आते ही heart beat तेज़ होना मेरा,
हर रात सिर पर caring वाली kiss और थपकी,
ये सब चीज़े ही तो हर रोज मुझे अच्छी नींद सुलाते है,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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अंतिम सांस तक तुम्हे चाहना मैं कर लुंगी survive,
तुम्हारे absence के एक पल में भी I won't be alive,
तुमसे दूर जीना ना पड़ जाए, तुम बदल तो नही जाओगे,
मेरे ये बुरे खयाल मुझे अकेले में कई बार डराते हैं,
चलो हम एक दूसरे के थोड़ा और करीब आते है.
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Tuesday, 23 October 2018

मुझे एक ही बार क्यो नही जला देते हमेशा के लिए






तंग आ गया हूँ अब मैं भी तिल तिल कर मरने से,
रूह अब भी कांप जाती है कुछ भी गलत करने से,
हर साल थोड़ा थोड़ा करके मरना पड़ता है मुझे,
क्या रखना चाहते हो अगली बार के कलेशा {कलह} के लिए,
मुझे एक ही बार क्यो नही जला देते हमेशा के लिए.
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मुझे रूप बदलना पड़ता था अपने काम के लिए,
तुम रंग बदलते रहते हो थोड़े से नाम के लिए,
एक ही चेहरे के पीछे जब तुम्हारे इतने रूप देखता हूँ,
क्या तुमने भी तप किया था महेश के लिए 
मुझे एक ही बार क्यो नही जला देते हमेशा के लिए.
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मुझे असुर कहने वाले तुम खुद एक जिहादी हो,
रेपिस्ट, देशद्रोही, विश्वासघाती तुम आतंकवादी हो,
मुझे गलत कहने वाले तुम तो अपनो के भी अपने नही,
किसी हद तक गिरोगे दुनिया के तमाशा के लिए,
मुझे एक ही बार क्यो नही जला देते हमेशा के लिए.
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मुझे मार कर जो बटोरते हो थोड़े से खुशी तुम,
क्यो भूल जाते हो उसी में औरो की मयूषी तुम,
कितनो रुपये तुमने जला दिए आतिशबाजी में,
करते हो ये अगले दिन किसी बुरे संदेशा के लिए,
मुझे एक ही बार क्यो नही जला देते हमेशा के लिए.
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अगर मैं प्रतीक हूँ बुराई का तो खत्म कर दो मुझे,
लाख बुराईयां तेरी क्या कभी नही दिखती तुझे,
मैंने नियम तोड़ा, तुम नियम बदल देते हो अपने हिसाब से,
कितने बदल लिए हो खुद को थोड़े पैसा के लिए,
मुझे एक ही बार क्यों नही जला देते हमेशा के लिए.
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मैंने गलती की तो मैं दुराचारी, दुष्ट, पापी रावण हो गया,
हदें पार करके गलतियों की तुम्हारा हृदय पावन हो गया,
छल कपट तो जैसे विरासत में मिल गए हो तुम्हे,
राम बने फिरते हो WhatsApp, Facebook, Insta के लिए,
मुझे एक ही बार क्यों नही जला देते हमेशा के लिए.
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हाँ, अगर मैं रावण हूँ तो तुम अपना नाम सोच लो

This is how rawan feels about our society and behavior.
Not intended to hurt anyone by my words.

हाँ, अगर मैं रावण हूँ तो तुम अपना नाम सोच लो,
मैं बुराई का प्रतीक हूँ तो तुम अपनी पहचान सोच लो,
सदियों से मेरा अंत करने की कोशिश करते आये हो हर साल,
मुझे एक ही बार खत्म करने का कोई super plan सोच लो.
अगर मैं रावण.........

मैंने तो सिर्फ एक पर-स्त्री को देखा है, अपनी इन 20 eye से,
तुमने तो न जाने कितनो पर नज़र रखा है, Internet और WiFi से,
कर्म अगर मैंने बुरे किये है किसी को सिर्फ अपने घर में सुरक्षित रखकर,
तो rape करने के बाद भी मुझे गलत कहने वाले अपना काम सोच लो.
अगर मैं रावण.......

मेरे परिवार वाले मेरे मरने का दुख नही करते, इंतेज़ार करते है अगले साल का,
बीमा कंपनियों से परेशान हो गया हूँ, आफर देते है मुझे दोगुना माल का,
मेरे हर बार दहन होने का मतलब शायद तुम लोग कभी समझ ही नही पाओगे,
नज़रअंदाज करना हो तो मेरा आना बस मेरा इन्तेक़ाम सोच लो.
अगर मैं रावण........

मैं बुराई हूँ जिसे तुम कभी खत्म नही कर सकते, कभी मार नही सकते,
खुद को खत्म करना पड़ेगा इसके लिए, जो तुम कभी स्वीकार नही सकते,
हमने औरत को पर्दे में रखा तो उसकी मर्यादा कम नही हुई थी कभी,
स्त्री-पुरुष में समानता को तुम अपनी हवस का जरिया सरेआम सोच लो.
अगर मैं रावण........

तुम राम बनते फिरते हो समाज के सामने, news में और media में,
हाँ तुम्हारे नाम का एक page होगा भले ही, search इंजन Wikipedia में,
जिस राम ने मुझे मारा था वो अब कही दिखता नही है, कभी भी,
अपने आप को तो तुम बस एक मौका परस्त इंसान सोच लो.
अगर मैं रावण........

मैं असुर कुल से था इसका मुझे दुख था उस जमाने में, जब राम था,
पूरे ब्रह्मांड पर शासन करने का एक लक्ष्य था हमारा, यही एक काम था,
तुम ना शासन करना चाहते हो ना करने देना चाहते हो किसी को,
अब अगर असुरों से कही ज़्यादा गिरे हुए कोई है तो वो लालची इंसान सोच लो.
अगर मैं रावण........

बेवजह हर बार कुछ मूर्तियां, कुछ पुतले, कुछ रुपये जलाते हो,
आगजनी, भगदड़, आतिशबाजी में न जाने कितनो को रुलाते हो,
ये मेरी मृत्यु का नंगा नाच जो समझते हो आब तक तो सुनो,
इसे अपनी कुछ देर की खुशी के खातिर लोगो का परवान सोच लो.
अगर मैं रावण........

तुम्हारे भीतर की बुराई ने मुझे जिंदा रखा है आज भी,
इस बात को ठुकरा नही सकता तुम्हारा आदर्श समाज भी,
अगर ला सको राम राज्य फिर से तो आदर्श भारतवासी हो तुम,
और उस दिन को अपनी बदली हुई सोच का अंजाम सोच लो.
अगर मैं रावण........
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Saturday, 13 October 2018

Trust..!!!! What is this????

A WhatsApp Chat screenshot between me and the one, who made me write this poem.

जब तुमने कर दिया तो लगा तुम कर सकते थे,
जब तुम करने वाले थे तो लगा तुम कर लोगे
तुम्हारे साथ रहकर इतना समझने लगा हूँ,
कि कहां कहां किन कामों में साथ मेरा तुम दोगे
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तुम वो हमेशा कर लेते हो जो तुम करना चाहते हो,
मुझे पता है अपनी कहानी के तुम अच्छे नायक हो,
तुम्हारे काम को तुमसे बेहतर कोई नही कर सकता,
फिर भी मुझे नही लगता तुम भरोसे के लायक हो
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तुमसे जब से मिले है हम, तुम अच्छे लगे हो,
कुछ अच्छे पल मेरे साथ ज़रूर बिता लेते हो,
तुम्हारा बर्ताव भी ठीक ठाक ही है मेरे सामने,
तुम्हारी कमियां तुम अच्छी तरह छिपा लेते हो
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तुम्हे भीतर तक समझने का मौका नही मिला कभी,
मैं जौहरी नही जिसे परख करना आता हो हीरों की,
काफी बढ़िया से खुद को पेश करते हो मेरे सामने,
तुम अनुभवी सरदार जान पड़ते हो सभी शातिरों की
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तुम वो हो नही जो मुझे लगता है की तुम हो,
तुम कुछ और ही हो मेरे आंखों से ओझल होकर,
कैसे याद रखते हो खुद को किस तरह रखना है,
मेरे सामने मुझ जैसा, मेरे बाद थोड़े निर्मम होकर
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लोगो ने कुछ इस तरह तोड़ा है उम्मीदों को मेरे,
मैं किसी पे भरोसा करने के कबिल नही हूँ अब
जब भी कोई अच्छा सा, अपना सा लगता है कभी,
दिमाग मेरा पूछता है दिल से, क्या मैं सही हूँ अब?
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डर क्यों लगता है मुझे भरोसा करने से अब
मैंने पूछा खुद से कई बार कि क्या है भरोसा?
एक उम्मीद है जो बंधती नही, विश्वास है जो होता नही,
इस उल्फत में कई बार, खुद ही को मैंने है कोसा
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की सब लोग क्यों नही हो सकते मुझ जैसे?
की क्यो पता नही चल जाता कौन धोखा करेगा?
कि क्यों नही बदल सकती प्रकृति हमारी?
क्या ये इसी तरह मुझे प्यार करने से रोका करेगा?
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मैं अब तक नही समझा कि भरोसा क्या है,
कोई बड़ी ही कीमती चीज़ होगी, और बड़ी नाज़ुक भी
सुना है जहां भरोसा नही होता वहां प्यार कम हो जाता है,
और शायद भरोसा कर पाने की आरजू भी
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मेरी कोशिश होगी तुमको सही समझने की,
नही पलने दूंगा मैं अपने भीतर शक कोई,
तुम कुछ पल के लिए ही सही हमसफर हो मेरे,
मुझे तकलीफ देने वाला हो बेशक कोई
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जाओ, तुम्हे तुम्हारी दुनिया मुबारक,
मेरे दुनिया मे तो हमेशा प्यार ही पाओगे तुम,
मोहब्बत उतनी ही करेंगे जितनी कर सकेंगे,
जब कभी मेरे दिल की चौखट पर आओगे तुम
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