Thursday, 18 June 2020

तुम और तुमसे जुड़ा मेरा बचपन........

Memories are sometimes best friends
Tum aur tumse juda mera bachpan

वो यादें हसीन हुआ करती थी, जो यादें पीछे छुट गईं
वो ज़िंदगी कितनी प्यारी थी, जाने क्यों हमसे रूठ गयी,
तेरे सपने हसीन होते होंगे, पर मेरी नींद थी टूट गयी,
जब नींद खुली तुमको देखा, बाकी के चेहरे मिट गए,

तुम ख़्वाब, खयाल से सुंदर थी, तुम सरल, सहज तुम निःछल थी,
भले आज-अभी तुम मिली मुझे, पर मेरे लिया तुम ही कल थी,

मेरी कल तक की अंधियारी थी, मेरी आज की सुबह सुहानी थी,
मेरे आने वाले कल के लिए, तुम ईश्वर की कोई मेहरबानी थी,

मेरी सूरज थी जगने की वजह, सोने के लिए तुम सपना थी,
मेरी कल्पना जहां पर होती खतम, उससे भी अच्छी रचना थी,

तुम्हारे घर की तरफ मेरी खिड़की के, दरवाजे खुला ही रखता था,
तुम खिड़की पर जुल्फ़ लहराती, मैं हल्के से फुंका भी करता था,

तुम जब भी योगा करती थी, मुझे साँसे महसूस तेरी होती थी,
मेरा भी मन नहीं लगता था, जब भी तुम हल्की भी रोती थी,

School के लिए मुझको लेने, जब भी मेरे घर आती थी,
मैं जान कर देरी करता था, जब भी तुम मुझे बुलाती थी,

जब class room में पास-पास, teacher हमें नहीं बिठाते थे,
तो छुट्टी में अपनी Cycle को, puncture ही हमेशा पाते थे,

कभी class bunk करके भी मैं, जब आम तोड़ने जाता था,
मेहनत से एकाध जो मिलता था, तेरे लिए बचा कर लाता था,

मेरा पढ़ना-लिखना तेरे लिए, मेरी Notebook से मेरी Diary तक,
मेरी Drawing, कविता, कहानी भी, मेरे भाषण से मेरी शायरी तक,

मेरे teacher मुझे समझते थे, मैं नालायक था, मैं बेहूदा था,
वो नहीं जानते तेरे कसम पर मैं, school के छत से कूदा था,

किसी Flag march, किसी Rally मैं, तेरे पीछे ही मैं रहता था,
तेरे कदम से लेकर Slogan तक, मैं तुझको Follow करता था,

जब teacher तुमसे पुछते, खुद को Future Doctor बताती थी,
तब हौले से मेरे दिल में कहीं, मरीजों वाली feeling आती थी,

अंताक्षरी में तेरा Sad song, पंद्रह अगस्त को देशभक्ति गाने,
हर शनिवार को गणेश वंदना, क्यों सुनते थे, तू क्या जाने,

तेरे मोहल्ले में जब भी हरीकीर्तन हो, मैं घंटों झाल बजाता था,
माता की चौकी अपने घर, मैं बस तेरे लिए ही रखवाता था,

जब कभी हमारा आमना-सामना, school के खेलो में होता,
मैं हार के खुश था तुम जीती, मैं जीत के भी खुश था मैं जीता,

तेरे संग यूं ही भींग जाने की, उतनी ही होती है ख़्वाहिश,
School के रस्ते में कभी जैसे, हो जाती थी हल्की बारिश,

पर आज तो तुम कुछ और ही हो, कुछ और ही है तेरी बातें,
मेरे याद दिलाने से भी तुझे, नहीं याद आएंगी वो यादें,

वो वादें मिलते रहने की, वो सपने बनाने का हमसफर,
सब तोड़ देता एक झटके में, मम्मी/पापा का transfer,

तुम वसंत सी फैली हरियाली, और मैं पतझड़ सा सूनापन,
वो दिन भी कितने अच्छे थे, कोई काश लौटा दे वो बचपन !!!
Social Media पर Follow करो,
Kalamwali
Subscribe on my YouTube Channel

Friday, 5 June 2020

क्या वो इश्क़ नहीं था.........

Hardoi Wala Ishq

तुम्हें देख लेने के बाद जो होंठो पर मुस्कुराहट होती थी,
तुम्हें एकटक देखने पर दिल में जो घबराहट होती थी,
जहां से तुम चले जाते थे, वहीं पर तुम्हें देर तक निहारना,
इसे नादानी मत कह देना, भले ही वो मेरा पागलपना था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,

याद तो तुम्हें भी हो गया था, मेरी खिड़की की बनावट,
हाँ भले ही तुम भूल गए होगे, मेरी दिवाली की सजावट,
मैंने देखा था तुम्हारे Desperation को, मुझे देखते वक़्त,
अपने खुदा से मैंने तुम्हारे लिए भी, कुछ तो ज़रूर कहा था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,

तुम दिल के इतने करीब थे कि जैसे मानो मेरे पड़ोसी थे,
मेरे पहले-पहले पागलपन के लिए, सिर्फ तुम ही दोषी थे,
तुम्हें तो पता है न लड़कियों के Nature और Attitude का,
फिर भी मैंने तुम्हें अपना प्यार, जताने का प्रयास किया था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,

Balcony कभी छत और कभी दरवाजे से दिख जाते थे,
हल्की बेचैनी सी होती थी जब, तुम नज़र नहीं आते थे,
तुम भी तो देखा करते थे मुझे, मोहब्बत की ही नज़रों से,
तो फिर तुमसे मोहब्बत करना, क्या मेरे लिए गुनाह था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,

औरों से अलग लगता था, तुम्हारा मुझे देखने का तरीका,
लड़कों में मैंने नहीं देखा, लड़की के लिए इतना सलीका,
तुम्हारे इन्हीं सब बातों की मुझे आदत सी हो गयी थी,
तुम से मिलने के बाद मेरे लिए, सबकुछ नया-नया था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,

मेरे लिए वो सबकुछ इश्क़ था, और मैंने तुम्हें ये जताया भी,
तुम भी मुझे उतना ही चाहते थे, ये आँखों से तुमने बताया भी,
अब ये मेरा डर कह लो, या मेरी Attitude जो मैंने बोला नहीं,
लेकिन जाते-जाते तुमने भी अपनी Feelings नहीं कहा था,
तुम बताओ तुम्हारे लिए, वो इश्क़ नहीं था तो क्या था,