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Tum aur tumse juda mera bachpan |
वो यादें हसीन हुआ करती थी, जो यादें पीछे छुट गईंवो ज़िंदगी कितनी प्यारी थी, जाने क्यों हमसे रूठ गयी,तेरे सपने हसीन होते होंगे, पर मेरी नींद थी टूट गयी,जब नींद खुली तुमको देखा, बाकी के चेहरे मिट गए,तुम ख़्वाब, खयाल से सुंदर थी, तुम सरल, सहज तुम निःछल थी,भले आज-अभी तुम मिली मुझे, पर मेरे लिया तुम ही कल थी,मेरी कल तक की अंधियारी थी, मेरी आज की सुबह सुहानी थी,मेरे आने वाले कल के लिए, तुम ईश्वर की कोई मेहरबानी थी,मेरी सूरज थी जगने की वजह, सोने के लिए तुम सपना थी,मेरी कल्पना जहां पर होती खतम, उससे भी अच्छी रचना थी,तुम्हारे घर की तरफ मेरी खिड़की के, दरवाजे खुला ही रखता था,तुम खिड़की पर जुल्फ़ लहराती, मैं हल्के से फुंका भी करता था,तुम जब भी योगा करती थी, मुझे साँसे महसूस तेरी होती थी,मेरा भी मन नहीं लगता था, जब भी तुम हल्की भी रोती थी,School के लिए मुझको लेने, जब भी मेरे घर आती थी,मैं जान कर देरी करता था, जब भी तुम मुझे बुलाती थी,जब class room में पास-पास, teacher हमें नहीं बिठाते थे,तो छुट्टी में अपनी Cycle को, puncture ही हमेशा पाते थे,कभी class bunk करके भी मैं, जब आम तोड़ने जाता था,मेहनत से एकाध जो मिलता था, तेरे लिए बचा कर लाता था,मेरा पढ़ना-लिखना तेरे लिए, मेरी Notebook से मेरी Diary तक,मेरी Drawing, कविता, कहानी भी, मेरे भाषण से मेरी शायरी तक,मेरे teacher मुझे समझते थे, मैं नालायक था, मैं बेहूदा था,वो नहीं जानते तेरे कसम पर मैं, school के छत से कूदा था,किसी Flag march, किसी Rally मैं, तेरे पीछे ही मैं रहता था,तेरे कदम से लेकर Slogan तक, मैं तुझको Follow करता था,जब teacher तुमसे पुछते, खुद को Future Doctor बताती थी,तब हौले से मेरे दिल में कहीं, मरीजों वाली feeling आती थी,अंताक्षरी में तेरा Sad song, पंद्रह अगस्त को देशभक्ति गाने,हर शनिवार को गणेश वंदना, क्यों सुनते थे, तू क्या जाने,तेरे मोहल्ले में जब भी हरीकीर्तन हो, मैं घंटों झाल बजाता था,माता की चौकी अपने घर, मैं बस तेरे लिए ही रखवाता था,जब कभी हमारा आमना-सामना, school के खेलो में होता,मैं हार के खुश था तुम जीती, मैं जीत के भी खुश था मैं जीता,तेरे संग यूं ही भींग जाने की, उतनी ही होती है ख़्वाहिश,School के रस्ते में कभी जैसे, हो जाती थी हल्की बारिश,पर आज तो तुम कुछ और ही हो, कुछ और ही है तेरी बातें,मेरे याद दिलाने से भी तुझे, नहीं याद आएंगी वो यादें,वो वादें मिलते रहने की, वो सपने बनाने का हमसफर,सब तोड़ देता एक झटके में, मम्मी/पापा का transfer,तुम वसंत सी फैली हरियाली, और मैं पतझड़ सा सूनापन,वो दिन भी कितने अच्छे थे, कोई काश लौटा दे वो बचपन !!!
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Kalamwali
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