![]() |
AI Generated Cover for the poetry |
भला उस हिसाब से मैं उसका कैसे हो जाऊं,
और उस हिसाब से वो भला मेरा कैसे हो सकता है,
किसी और का होके भी किसी और का हो जाऊं,
किसी से मुहब्बत, किसी के लिए सेहरा कैसे हो सकता है
तेरे सपने देखूंगा जब सो जाऊं हमेशा खातिर,
तुम्हारे सपने आए तो फिर सवेरा कैसे हो सकता है,
मैंने ही देखे हैं बस, अमावस की घनी, काली रातें,
तुम खुद चाँद हो पूनम का, सो अंधेरा कैसे हो सकता है
दूर ही ठीक हूं, पास आऊंगा तो टूटेगा भरम मेरा,
किसी के लिए सुकून किसी का चेहरा कैसे हो सकता है,
कहने वाले तो ये तक कह देते हैं कि लुट गए वो,
प्यार में भी कोई प्यारा शख्स, लुटेरा कैसे हो सकता है
जिसको सोचूं तो भूलूं खुद को, देखूं तो खुद को खो दूं,
वो बवंडर ना होके यादों का महज घेरा कैसे हो सकता है,
संभव है तुझको ढूंढू मैं, अपने आठवें जनम में,
झूठे कसमों तक ठीक है, झूठा अग्नि फेरा कैसे हो सकता है
बताओ किसके हिस्से से काट के इश्क करूं किसको,
ये मकां तो गिरवी है, किसी का बसेरा कैसे हो सकता है,
अपनी मर्जी से लगा लेना मेरे नाम का हिना तुम,
पर मेरा नाम हुआ तो रंग उसका गेहरा कैसे हो सकता है
तेरे संग इश्क हो तो ध्यान रहेगा बिछड़ना भी होगा,
अगर इश्क़ है तो इसपे समय का पेहरा कैसे हो सकता है,
तुझमें उसको ढूंढूंगा या ढूंढूंगा उसमे तुझको मैं,
खुद सोचो ये ख्वाब सुनेहरा कैसे हो सकता है
No comments:
Post a Comment
Thank you for commenting. Soon, you will get a response from the admin.