Monday, 21 October 2024

ये कैसे हो सकता है...

Girl proposing a boy while boy says 'no'
AI Generated Cover for the poetry

 

भला उस हिसाब से मैं उसका कैसे हो जाऊं,

और उस हिसाब से वो भला मेरा कैसे हो सकता है,

किसी और का होके भी किसी और का हो जाऊं,

किसी से मुहब्बत, किसी के लिए सेहरा कैसे हो सकता है


तेरे सपने देखूंगा जब सो जाऊं हमेशा खातिर,

तुम्हारे सपने आए तो फिर सवेरा कैसे हो सकता है,

मैंने ही देखे हैं बस, अमावस की घनी, काली रातें,

तुम खुद चाँद हो पूनम का, सो अंधेरा कैसे हो सकता है


दूर ही ठीक हूं, पास आऊंगा तो टूटेगा भरम मेरा,

किसी के लिए सुकून किसी का चेहरा कैसे हो सकता है,

कहने वाले तो ये तक कह देते हैं कि लुट गए वो,

प्यार में भी कोई प्यारा शख्स, लुटेरा कैसे हो सकता है


जिसको सोचूं तो भूलूं खुद को, देखूं तो खुद को खो दूं,

वो बवंडर ना होके यादों का महज घेरा कैसे हो सकता है,

संभव है तुझको ढूंढू मैं, अपने आठवें जनम में,

झूठे कसमों तक ठीक है, झूठा अग्नि फेरा कैसे हो सकता है


बताओ किसके हिस्से से काट के इश्क करूं किसको,

ये मकां तो गिरवी है, किसी का बसेरा कैसे हो सकता है,

अपनी मर्जी से लगा लेना मेरे नाम का हिना तुम,

पर मेरा नाम हुआ तो रंग उसका गेहरा कैसे हो सकता है


तेरे संग इश्क हो तो ध्यान रहेगा बिछड़ना भी होगा,

अगर इश्क़ है तो इसपे समय का पेहरा कैसे हो सकता है,

तुझमें उसको ढूंढूंगा या ढूंढूंगा उसमे तुझको मैं,

खुद सोचो ये ख्वाब सुनेहरा कैसे हो सकता है


    Composed to read it at Freshers' Party where I was one of the freshers, this poetry states my loyalty and intentions towards Love Drama and Future Mate. But, unfortunately I could not attend the party, held on October 05, 2024 due to Navratri. Hence it remained unspoken.

    Hope I'll read it on next opportunity, unless I'll have another one. The cover photo depicts the entire scenario and hence is the poetry. Thanks for going through it. If your thoughts are same, you can share this among your circle.

By the way, some links to approach me for my works (significant and trivial) are provided below:

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