Thursday, 10 January 2019

Me and She.....

Check out my audio below. But this will soon be replaced with a video of the same poem, with my face.


मैं उस रोज़ अपने मोड़ से बस में चढ़ा, वो मेरी क्लास का पहला दिन था,
सीट पर बैठने के बाद फ़ोन निकाल कर, मैं गाना सुनने में लीन था,
कि गाड़ी उसके मोड़ पर पहुंच गयी जाने कब, मुझे तो पता भी न चला,
और वो जिसने दरवाजे से entry ली, उसका चेहरा बड़ा ही हसीन था.
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उसे देखते ही मैंने खुद को चुपचाप, अपनी सीट से खड़ा कर लिया था,
ये पहली बार था शायद जब उसको, किसी नई अपना सीट दिया था,
किसी को ये मेरा चीप बेहवीयर लगा, तो किसी को अच्छा भी लगा था,
पर चलो मुझे खुद से तसल्ली थी कि मैंने, कुछ तो अच्छा किया था.
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फिर चुप चाप सी वो, चुप चाप से मैं, उतरे एक ही जगह पर हो गए दो ओर,
रिटर्न में वो पहले से ही बस में थी, मैंने भी पकड़ लिया सीट का दूसरा छोर,
अगले दिन जैसे ही वो अंदर आयी, मैं फिर अपने सीट से खड़ा हो गया,
कि तभी मेरी सीट पर एक आंटी बैठ गयीं, और वो बैठी जाके कहीं और.
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निकलता टाइम पर ही था, भले ही मैं जल्दी तैयार हो जाया करता था,
शायद उसी के लिए ही ठंढी में भी, मैं हर रोज़ नहाया करता था,
वो जो चिढ़ता था बहुत, किसी भी परफ्यूम के बेकार सी स्मेल से,
अब क्लोज अप से ब्रश भी करता, और सेट वेट भी लगाया करता था.
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उससे बस दोस्ती करने के लिए ही मैंने, हैप्पन पर एकाउंट बनाया था,
लेकिन इंस्टा और फेसबुक पर भी उसको, मैं नही ढूंढ पाया था,
नज़रे बचा कर चोरी छिपे कभी कभार, बस उसके दीदार हो पाते थे,
और तकलीफ तो ये थी की एक रात भी, उसका सपना तक नही आया था.
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हर बार सीट खाली क्यो मिलती थी इसका, उसे नहीं हुआ एहसास भी,
दोस्ती तो दूर, उसने देखा भी नहीं मुझे, इतने दिन मिलने के बाद भी,
समीज-सलवार पहनी हुई साधारण सी, वो बहुत प्यारी लगती थी,
मुझे याद है मैंने अपनी डायरी में लिखा है, उससे जुड़ी एक याद भी.
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वो लड़की अकेली कहाँ रहती, कहीं भेजा नहीं उसे बस यही सोचकर,
ये समाज जानवरो से भरा पड़ा है, जो रख देंगे उसके कपड़े नोचकर,
ये ज़ख्म बड़े गहरे दे डालते हैं, बस हल्के से ही बदन को खरोंचकर,
तुम बोल नहीं पाओगे की कोई सुने, सब रख देंगे तुम्हें दबोचकर.
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पर मैं तो लड़का था इसलिए मैंने, एक बढ़िया सा रूम ले लिया साल में,
रोज़ बस की भीड़ में अप-डाउन करना, मुझे पसंद नहीं था किसी हाल में,
इसलिए यही रहना डिसाइड किया, अपने दिल के साथ सैक्रिफाइस करके,
और उसके चेहरे की तस्वीर रख ली मैंने, दिल के किसी safe wall में.
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मुझे याद आता है वो तारीख, जिस दिन मुझे रूम पर रहने आना था,
मेरी निगाहें दरवाजे पर ही टिकी थी, उसका चेहरा जो मन में बसाना था,
उसकी एंट्री भी ज़बरदस्त थी, उस दिन काफी सुंदर दिख रही थी वो,
एक तो पिछली रात उसका बर्थडे था, दूसरे एग्जाम देने जाना था.
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उसके पापा ने नोकिया 1200 फ़ोन, बनवा कर दिया उसको गिफ्ट में,
वहीं जो कभी टूट गया था उनसे, किसी बड़े से होटल के लिफ्ट में,
वो अपने दोस्त से कह रही थी कि, उस दिन वो लेट हो जाएगी,
उसका एग्जाम था शायद बीए का, और वो भी सेकंड शिफ्ट में.
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फिर ना हम कभी मिले किसी मोड़ पर, और ना ही हुई हमारी कोई बात,
कुछ इसी तरह से होना लिखा था, मेरी एक नई ज़िंदगी की शुरुआत,
फिर दो-ढाई महीनों के बाद जब मैं गाँव जाकर वापस आ रहा था,
कंडक्टर पूछा हमने आना-जाना, क्यो छोड़ दिया एक साथ.
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मैं हैरान था कि उसके पिता, उसके बाहर रहने के लिए कैसे मान गए,
हो सकता है आने जाने की समस्या को, अब वो भी ठीक से जान गए,
वो पहला दिन था मेरे लिए जिस दिन, मैंने अपना सीट नहीं छोड़ा था,
और उसी दिन से उसको देखने के, मेरे भीतर से सारे अरमान गए.
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एक लड़का बता रहा था उसके गांव का, कि वो बिचारी अब रही नहीं,
उस दिन एग्जाम से आते देरी हो गयी, परिंदा भी दिख रहा था कही नहीं,
परिंदे तो चलो घर लौट जाते है शाम को, पर दरिंदे शिकार ढूंढते रहते है,
4 दरिंदो ने मिलकर उसपर ज़ुल्म किया, उस दर्द को वो और सही नही.
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बाप ने कोई कंप्लेन नहीं किया, न्यूज़ और थाना में एक्सपोज़ होने के डर से,
पर वो दरिंदे सरेआम घूमते दिख जाते है, कभी अपाचे तो कभी पल्सर से,
उन लड़को ने सलाह दिया था, अगर कंप्लेन की तो तेरी एक और बेटी है,
उसकी बहन ने भी पांचवी से पढ़ाई छोड़ दी, निकलती नही वो भी घर से.
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जिसे कंडक्टर ने भाड़ा के लिए डांटा था, सिसकी नहीं सीधा रो गयी थी,
जो पुरानी फ़ोन को भी गिफ्ट में पाकर, बहुत ही ज़्यादा खुश हो गयी थी,
मेरी दोस्त जैसी वो जिसे देखा करता था, अब जाने कहाँ गुम हो गयी थी,
शायद दरिंदगी के बाहर दूसरी दुनिया में, अब चैन की नींद वो सो गयी थी.
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अब से मैं यही रहता हूँ, और कभी अगर घर जाना होता है तो ट्रैन से जाता हूँ. और किसी भी लड़की की तरफ देखता भी नहीं हूँ. भगवान ना करे, पर अगर उसके साथ भी कुछ हो गया तो?
बहुत बहुत धन्यवाद


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2 comments:

  1. Replies
    1. Paramvir Ji,
      Sorry for late reply. But thanks. Do share such thought among your circle.

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