Saturday, 6 March 2021

Crush, एकतरफा मुलाक़ात और एहसान

 


तुम क्या ही समझोगे मेरा हाल-ए-दिल तुम्हें देखकर,

तुम क्या समझोगे तुम्हारे लिए मेरे जज़्बात क्या है,


एक तरफा मोहब्बत बहुत देखा-सुना होगा तुमने भी,

शायद तुम नहीं समझो एकतरफा मुलाकात क्या है,


तुम्हारे खयालों में कुछ इस तरह बंधा हुआ रहता हूं,

इन हसीन खयालों से अच्छा कोई हवालात क्या है,


दर्द ने भी इन दिनों खुशियों वाली चादर ओढ़ रखी है,

तुम्हारे सिवा मैं दूसरा क्या कहूं कि कायनात क्या है,


कल ही तुमने इनकार किया मेरे इजहार-ए-इश्क़ को,

हां, पर तुमने ये नहीं कहा था कि मेरी औकात क्या है,


कल तुमने ख़तम सा कर दिया किस्सा हमदोनों का,

मैं अभी तक ये समझ नहीं पाया था शुरुआत क्या है,


आज तुम्हें मायूस होकर खुद से बातें करते देखा मैंने,

पर मजबूरी ये है कि पूछ भी नहीं सकता बात क्या है,


हिम्मत किश्तों में साथ छोड़ती जा रही है मेरी अब,

आँखों में सिर्फ नमीं ही है तो फिर बरसात क्या है,


मेरे बुजदिली की सजा मेरे बेगुनाह इश्क़ को न मिले,

इजहार-ए-इश्क़ ही अगर गुनाह है तो मेरे साथ क्या है,


मुझे इश्क़ हो गया तुमसे तो तुमने भी मुझसे कर ली,

अगर इसे तुम इश्क़ कहते हो तो फिर खैरात क्या है,


यूँ तो सख्त लड़को में गिनती होती है मेरी शुरू से,

जो तुम गुजरी, जो मैं पिघला, मोम की बिसात क्या है,


तुम्हारे झुमके से आ रही थी टकराकर रौशनी उस रात,

मैंने आसमान की ओर देखा, कि चांदनी रात क्या है,


मुझे टूटना पसंद है इकतरफ़ा इश्क़ करते करते,

पर जानना है मेरे बारे में, तुम्हारे ख़यालात क्या है,


मैं दुनिया भर में पूछता फिर रहा था कि सुकून क्या है,

तुम्हें मुस्कुराता देखा तो भूल गया मेरे सवालात क्या हैं.


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