Thursday, 18 April 2019

गाँठ (the Knot).....

Ropes
The knot between two ropes.......

अपने भीतर समेटे हुए, कुछ हसीन सपनों को,
कुछ और नहीं बस, एक छोटा सा गाँठ हूँ मैं,
कुछ खूबसूरत यादों को, जो ताज़ा कर दे फिर से,
गाँठ की तरह बंधी वो, हर छोटी सी बात हूँ मैं,

वो गलतफहमियाँ, जो हो गयीं थी हमारे दरम्यान,
कतरा कतरा ज़िंदा है, मुझमें उन हालातों का,
दर्द को छिपा कर, रखने वाला भी मैं गाँठ हूँ,
मैं गाँठ हूँ तुम्हारी हंसी के, पीछे छुपे खयालातों का,

मैं गाँठ हूँ बिखरे रिश्ते को, नयी उम्मीद देने वाला,
मैं गाँठ हूँ जिसके बंधने से, कुछ रिश्ते आगे बढ़ते हैं,
मैं गाँठ हूँ प्रेम का भी और, मैं नफ़रतों का गाँठ भी हूँ,
मेरे होने से ही मिलते हैं, मेरे होने से ही बिखरते हैं,

जो खोलोगे मुझे तो, बंट जाओगे दो हिस्सों मे तुम,
मन के कोने में दबी हुई, कोई तीखी सी आवाज़ हूँ,
तुम्हारे रिश्तों को तबाह करने को मैं अकेला ही काफी हूँ,
सिर्फ गांठ ही नहीं हूँ बल्कि, मैं कोई गहरी राज़ हूँ,

मैं वो गाँठ हूँ जिसमें तुम सँजोते हो, ज़िंदगी के किस्से,
तुम्हारी खुद की उलझनों ने, मुझे गाँठ बनाया है,
मैं गाँठ हूँ कुछ लोगों के, संदेह भरे निगाहों का,
मैं वो गाँठ हूँ जिसने अक्सर, भरोसा को हराया है,

मैं गाँठ हूँ आत्मविश्वास का, मैं हौंसले का गाँठ हूँ,
मैं जोड़ता हूँ दिल भी, सिर्फ रस्सियाँ नहीं जोड़ता,
मैं गाँठ हूँ तुम्हारी दोस्ती का, तुम्हारे सभी रिश्तों का,
मैं गाँठ हूँ जो इतनी जल्दी, किसी का साथ नहीं छोडता.

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