Saturday, 25 May 2019

नमकीन इश्क़

The title is now changed from KIS-LIYE to NAMKEEN ISHQ.

क्लास में बैठ कर बहुत पहले से, एक एक सेकंड मेरा इंतज़ार करती थी वो,
मुझे एहसास नहीं हुआ कभी कि मन ही मन मुझसे प्यार करती थी वो,
मेरे दोस्त मेरा नाम ज़रा ज़ोर से लिया करते थे उसके आसपास होने पर,
कभी चिढ़ती थी तो कभी न मुस्कुराने की कोशिश हर बार करती थी वो,

उसे लगा था कि मैं शायद समझ जाऊंगा उसके एकतरफा प्यार को,
ये जानकर कि एक पागल से मोहब्बत की थी उसने पागलों कि तरह,
और भाई हम एक तो इश्क़ से अनजान थे, दूसरे इश्क़ से खफा भी थे,
हम तो अकेले ही ठीक हुआ करते थे, घूमते बरसते बादलों की तरह,

मैंने खुद को बचाए रखा था, उसके इश्क़ से भी, उसके हुस्न से भी,
मगर पिघल गया उसकी आँखों में, उम्मीद और मोहब्बत देखकर,
लेकिन मेरा पिघलना भी पिघलना नहीं बल्कि मेरा बदलना जाना था,
आखिर उसे शब्द देने पड़े थे मेरी नासमझी और मेरा शराफत देखकर,

हाये रे उसकी हल्की भूरी आंखे, हाये रे उसके भूरे भूरे से बाल,
उसके सुर्ख़ होंठ और होंठ के ऊपर एक छोटी सी प्यारी सी नाक,
उसने कोई nosepin नहीं लगाए थे उस दिन शायद या मुझे याद नहीं,
उसका इस कदर सुंदर होना हम सब के  लिए था एक इत्तिफाक़,

कहते हैं कि जो आया है वो एक दिन जाएगा ही, ये नियम है दुनिया का,
वो चली तो गयी मगर खुद को मेरे भीतर छोड़ गयी थी जाते हुए,
एक पागल सा जिसने formality के लिए भी रुकने को नहीं कहा,
एक बहादुर सी वो, जिसने दिल की बात कह दी थी घबराते हुए,

उसकी बेअसर मोहब्बत ने उसके जाने के बाद असर किया था मुझपे,
वो सब अब महसूस हो रहा था, जो कभी नहीं हुआ था उसकी संगत से,
मुसकुराता चेहरा से लेकर उसकी भिंगी हुई आंखे भी याद आती थी,
ये मोहब्बत है जनाब जिसने किसी को नहीं छोड़ा है अपनी रंगत से,

तुमने तो तुम्हारी हिस्से की मोहब्बत भी अभी पूरी नहीं करी है,
अभी तो मेरे हिस्से की पूरी की पूरी मोहब्बत करनी बाकी है,
मुझे लगता है तुम्हें वापस आना चाहिए हमारे नमकीन इश्क़ के लिए,
अभी तो तुम्हें मुझसे और मुझे तुमसे शिकायत करनी बाकी है. 

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