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Crush sitting below the electricity board, behind the door |
तो ये इतना आसान भी नहीं है. ये बिलकुल भी ऐसे नहीं है कि “किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं.” क्योंकि संज्ञा की एक ही परिभाषा होती है, फिर चाहे कहने के तरीके बदल जाये. जैसे कि “हर वो नाम जो किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थान को संबोधित करता हो, संज्ञा कहलाता है.”
Crush के बारे में ऐसा बिलकुल भी नहीं है. क्योंकि Crush के लिए न सिर्फ तरीका, बल्कि परिभाषा भी बदल जाती है. अगर अलग अलग लोगों से crush की परिभाषा पूछी जाये, तो अलग अलग जवाब मिलेगा. लेकिन सब परिभाषाओं में एक चीज़ तो Common मिलेगी, “अच्छी लगना”. अगर आपकी कोई Crush है, तो इसका मतलब वो आपको अच्छी लगती है. लेकिन सिर्फ किसी का अच्छा लगना ये तय नहीं करता कि वो Crush है या नहीं है.
क्या है न, कि अच्छा लगने के अपने अपने पैमाने हैं. अगर मैं कहूँ कि मुझे आरा अच्छा लगता है, तो वो इसलिए क्योंकि मेरे अच्छा लगने के पैमाने पर आरा आ जाता है. लेकिन किसी को आरा अच्छा नहीं लगता, तो इसका मतलब है कि उसके अपने पैमाने हैं जिसपर आरा नहीं आता. तो ये पैमाने पर निर्भर है कि कोई आपकी Crush हो सकती है या नहीं और इसके लिए आपको किसी के परिभाषा की जरुरत नहीं है.
लेकिन मैंने कहा कि सभी परिभाषाओं में एक चीज़ Common होगी, अच्छा लगना. इसका मतलब कि अच्छा लगने के अलावे भी कुछ पैमाने हैं. जैसे कि उसतक Approach होना. और मैं ये बता देना चाहता हूँ कि Approach होने का ये मतलब कि आपको उसके बारे में, (उसका Address, उसका नाम, उसके पिताजी और भाई का नाम और Status, उसके Society में उसकी इज्जत, उसके Ambition आदि) पता कर सकें. लेकिन ये सब उन दायरों में करें जिसको Stalking न कहा जा सके.
Stalking मुझे लगता है कि आपको समझना चाहिए. अगर हम Stalking की बात करें तो मेरा कहने का ये मतलब होगा कि कोई ऐसी हरकत न करें जिसके बारे में बाद में कभी उसको पता चलने पर उसको आपके ऊपर गुस्सा आये. यहाँ पर ये कहना कि इश्क़ और जंग में सब जायज है, मैं आपको साफ साफ बता दूँ कि किसी पर Crush होने में और किसी से इश्क होने में फर्क है. और इस फर्क को समझना चाहिए.
किसी पर Crush होने का मतलब कि आपको वो या उससे जुड़ी कोई चीज़ अच्छी लगती है. आप हमेशा उसे वैसे ही देखना चाहते हैं जैसे कि आपने पहली बार देखा था. उदहारण लेकर चलते हैं. मान लीजिये मुझे उसकी मुस्कराहट अच्छी लगती है. तो अगर मुझे उससे इश्क है, तो मैं कोशिश करूँगा कि उसकी मुस्कराहट वैसी ही बनी रहे, लेकिन अगर मेरा उसपर सिर्फ crush है, तो मैं उसकी मुस्कराहट के लिए कोशिश नहीं करूँगा, बल्कि सिर्फ दुआ करूँगा. क्योंकि ये इश्क नहीं है, जहाँ सब जायज है. वो आपको बस अच्छी लगती है.
आप YouTube देखते होंगे. दो तरह के Viewer होते हैं. एक तो वो, जो Feed में कुछ भी आता है बस उसी में से कोई एकाध Video देखते हैं. जैसे मुझे अगर Filtercopy, Binge, Alright, TSP, RVCJ Media, Arre, The Viral Fever, POPxoDaily, The Timeliner, Gobble, Harsh Beniwal, Patakha, This is Sumesh, ScoopWhoop आदि की Video Feed में दिख जाए, तो मैं उन्हें देख कर ही आगे Scroll करता हूँ. लेकिन मैंने इनके Channel को Subscribe नहीं किया है. और अगर कुछ दिन तक Feed में इनके Video दिखने बंद हो जाए, तो मैं Search भी नहीं करता कि आखिर क्या बात है जो कोई Video नहीं आई. लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो Channel को Subscribe कर देने के बाद भी Channel Search करते हैं, नयी Video का Update पाने के लिए. तो बस इतना ही फर्क है किसी पर Crush होने में और किसी से इश्क होने में.
Crush का यही मतलब होता है. आपको कोई लड़की अच्छी लगती है. शायद इतनी अच्छी लगती है कि आप खुद को भी नहीं बता सकते, दुसरो को बताने के लिए तो फिर भी शब्द की जरुरत होती है. और वो क्यों अच्छी लगती है, कितनी अच्छी लगती है, ये भी नहीं बता सकते. तो जब किसी के बारे में उसके नाम के अलावा सिर्फ और सिर्फ इतना ही पता हो कि “वो आपको अच्छी लगती है”, समझ लो उसपर Crush है तुम्हारा.
लेकिन शर्त है. किसी का इस कदर अच्छा लगना कि खुद को भी बता पाना मुश्किल हो क्यों और कितना, crush होना तभी कहा जायेगा जब वो वर्तमान में हो. मैंने पहले ही कहा कि किसी के बारे में उसके नाम के अलावा सिर्फ और सिर्फ इतना ही पता हो कि “वो आपको अच्छी लगती है”. अर्थात अभी भी अच्छी लगती है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि “वो आपको अच्छी लगी, या अच्छी लगी थी”.
अच्छी लगने वाली बात का Present Indefinite Tense में होना इसलिए भी जरुरी हो जाता है, क्योंकि ‘जो काम Past में शुरू होकर वर्त्तमान में अभी तक होते आ रहा है, और आगे भी कुछ दिन होते ही रहने की संभावना हो, उसे Present Indefinite Tense में माना जाता है.’ और किसी का अच्छा लगना आप ऐसे 10 मिनट में तय नहीं कर सकते. उसका इत्तेफाकन बार बार दिखना, और हर बार अच्छा लगना ही वो Milestone है उसके Crush बनने की.
और हाँ, मैंने कहा ‘उसका बार बार इत्तेफाकन दिखना.’ मतलब उसका इतना ही अच्छा लगना कि वो बस आपको इत्तेफाक से दिख जाए. और आप उसको देखने के लिए कोई कोशिश नहीं करें. क्योंकि कोशिशें प्यार में की जाती हैं. और मैं प्यार की नहीं, Crush होने की शर्ते बता रहा हूँ.
मुझे प्यार नहीं आता. वैसे तो मैं Crush को भी किसी Definition में नहीं बांधना चाहता था. लेकिन कुछ दोस्तों ने जिद कर दी. प्यार करना सीखना है मुझे. और मुझे यकीन है मैं एक अच्छा Learner हूँ, तो अगर कोई सीखाना चाहे तो मैं आसानी से सीख जाऊँगा. लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये मौका भी मैं अपनी भावी जीवन साथी को ही दूँ.
मैंने कहा कि Crush बनाने में Stalking गुनाह है. इसका ये भी मतलब है कि आपके पास आपके Crush की कोई वर्त्तमान तस्वीर नहीं होनी चाहिए. (वैसे तो पुरानी भी नहीं होनी चाहिए). आप उसे Social media पर Follow नहीं करेंगे. उसके Photos को Zoom करके नहीं देखेंगे, और उसकी तस्वीर देखने के बाद आपकी आँखों में Desperation तो बिलकुल ही नहीं दिखनी चाहिए. उसकी तस्वीर/Number निकलना, उसको Social Media पर Follow करना, उसके गली मोहल्ले में चक्कर लगाते रहना, उसके घर वालों से दोस्ती करना, ये सब Stalking माना जाता है.
अगर आप उसको Stalk करते हैं, तो हो सकता है वो आपकी हरकतों पर गुस्सा हो. हो सकता है उसे आप अच्छे नहीं लगें, और हो सकता है तब वो आपको देख कर मुस्कुरा नहीं पाए. दूसरा ये भी हो सकता है कि उसे आपके Efforts (कोशिशें) देख कर, आपके हिम्मत देख कर आपसे प्यार हो जाए. क्योंकि कुछ लोग प्यार को इस तरह भी परिभाषित करते हैं. इनमें से किसी भी स्थिति में आप Crush वाली शर्तों को तोड़ते हैं, और फिर वो Crush नहीं रह जाता.
Crush में उसके गुस्सा होने की, या उसके प्यार करने की बिलकुल भी कोई सम्भावना नहीं होनी चाहिए. यहाँ तक कि आपकी किसी भी हरकत से उसे महसूस भी नहीं होना चाहिए कि आपका उसे ऊपर Crush है, यानी वो आपको अचिछी लगती है. प्यार में होते होंगे Sacrifices, लेकीन वो कभी भी Crush की तुलना नहीं कर सकता. और हाँ, Crush को कभी भी एकतरफा मोहब्बत कह कर संबोधित मत करना. क्योंकि ये एक तरफ़ा नहीं होता है,
कौन कहता है कि Crush होना एकतरफ़ा मोहब्बत होना है. अगर मुझे वाराणसी अच्छा लगता है, तो इसका मतलब वहां की हवा में, वहां के गंगा घाटों पर, वहां के मंदिरों में, वहां की गलियों में, वहां के सड़कों पर, वहां की सुबह, वहां की शाम, वहां के लोग, और लोगों के विचार, कुछ तो होगा जो मुझे अच्छा लगता है. इसका मतलब कहीं न कहीं अगर मुझे वाराणसी अच्छा लगता है, तो इसके पीछे वाराणसी का भी थोडा बहुत हाथ है. अगर मुझे उसकी मुस्कराहट अच्छी लगती है, तो इसका मतलब उसने ऐसी मुस्कराहट रखी हुई है जो मुझे अच्छी लग गयी. यानी उसकी मुस्कराहट अच्छी लगने में उसका भी हाथ है. तो फिर ये एकतरफा कैसे हो सकता है!!!??
Crush होने का मतलब उसके दिख जाने के बाद आपको लगता है कि बस, अब और किसी को देखना बाकी नहीं रह गया. लेकिन उसको देखते रहने के बाद भी आपको लगता है कि अभी उसको ठीक से देखा कहाँ है!! लेकिन इश्क होने में उसके दिख जाने के बाद उसका हाल जानना होता है.
उसके Affairs, उसके नए पुराने रिश्ते, उसका किसी और के प्रति आकर्षण, उसके हाथ में Smartphone, उसके शादी की Date, उसके Qualifications, उसके Job Status (Designation) आदि से ये बात बिलकुल भी प्रभावित नहीं होनी चाहिए कि वो आपको अच्छी लगती है. ये सब तो बहुत दूर की बात है, वो आपको अच्छी लगती है, इसका इस बात से भी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि वो Real भी है या Fake है, Physical भी है या सिर्फ Virtual है, आपके उम्र की है या नहीं. क्योंकि किसी के अच्छा लगने की कोइ शर्त नहीं होती.
मैंने कहा कि Crush होना प्यार होना नहीं है. इसका मतलब वो सब लोग, जिन्हें आप किसी न किसी रूप में प्यार करते हैं, अथवा प्यार कर सकते हैं, आपकी Crush नहीं हो सकती.
This is not the complete elaboration of the meaning of CRUSH. This is my point of view, which may vary from the same of others.
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