Tuesday, 9 November 2021

इस साल छठ में मैं घर आ गया

 

बाज़ार लग जाने के समय से थोड़ा पहले

और इस साल छठ में मैं घर आ गया.......

ये कहानी सिर्फ किसी ऐसे इंसान की नहीं है जो अपने घर से दूर किसी नौकरी पेशा अथवा सेवा में रहता है और छठ महापर्व के अवसर पर अपने घर आया है। बल्कि ये हर उस इंसान के बारे में है जिसके घर छठ नहीं हो रहा है।

परसो नहाय खाय था। वैसे ये बात तो मुझे बहुत दिनों से याद है, लेकिन परसो उसी समय भूल गया जब सबसे ज्यादा मुझे याद रहनी चाहिए थी। गेहूं की बोरी लेकर जब मिल में पहुंचा तो मिल वाले ने पूछ लिया:- "अमनिया ह नू? काहे कि चक्की धो देले बानी" और उसके इस सवाल पर मैं कुछ बोलकर जवाब नहीं दे पाया, बस ना में सिर हिला दिया। भारी मन से अपनी गेहूं की बोरी उठाई, और इस साल छठ में मैं घर आ गया

परसो मैं छठ घाट की तरफ गया। सूर्य मंदिर प्रांगण में एक particular जगह है जहां हर साल हमारा घाट हुआ करता है। लगातार 5 साल हम उस एक ही जगह पर घाट की सफाई करके पूजा करते आए हैं। परसो भी मैंने वो छठ घाट साफ किया हुआ (घास पतवार छिला हुआ) देखा। पर इस बार वो घाट मैंने नहीं छिला है, जैसा कि मैं करते आया करता था। और जब मैंने उस घाट को साफ किया हुआ देखा तो मेरी हिम्मत नहीं हुई जाकर देख लूं किसका नाम लिखा है उस घाट पर। मन में ये नहीं आया कि कोई बात नहीं, मैं इस बार कहीं और घाट बना लूंगा। बस, आँखें भींगने भींगने को हो गई, मन में ये खयाल आते ही कि इस बार मेरे यहां छठ नहीं होगा। और फिर, मैंने उस घाट की तरफ से अपनी नजर ऐसे फेर ली, जैसे वो वहां है भी नहीं। और इस तरह इस साल छठ में मैं घर आ गया

कल खरना था। हां, इस बार कुछ नहीं भुला। बाजार पर एक काम था। और काम भी ऐसा था जिसको टाल नहीं सकते थे। तो कुछ दिनों से मेरी पैदल जाने की आदत बनी हुई है। मैं Bike ले जाना पसंद नहीं करता, जब मुझे अकेले जाना हो तो। कई बार अपना संतुलन खो चुका हूं अकेले bike चलाते हुए। तो, रास्ते साफ थे और मैं चले जा रहा था। पता था कि कल इन्हीं रास्तों पर चुने या अबीर (गुलाल) से स्वागत note लिखा जायेगा, और लोग रंगोली बनाना सीखेंगे, घाट की तरफ इशारा करते हुए तीर के निशान और दोनों तरफ Lining, एक बॉर्डर की तरह बनाई जाएंगी। क्योंकि कल इन्हीं रास्तों पर पैदल और नंगे पैर चलकर जाने कितने व्रती और श्रद्धालु अपने अपने घाट और घाट से अपने अपने घर को जायेंगे।

बाज़ार इधर से जाते समय कम घना था लोगों से। समय सुबह के करीब 11 बज रहे थे। मैं आगे बढ़ा तो बनास नदी बड़ी पुल पर ईख दिखा। उसकी तस्वीर ली मैंने। तस्वीर लेने के पीछे कारण ये था कि पिछले साल मेरे एक बहुत ही अजीज दोस्त ने ईख की उपलब्धता के बारे में पूछा था, और मैं बता नहीं पाया था। जिस कारण जब वो आया अपने गांव से ईख लेकर बेचने के लिए, तो उतनी बिक्री नहीं हुई। लेकिन फिर मुझे याद आया कि वो दोस्त तो इस बार गांव आया ही नहीं है।

मैं आगे बढ़ा और अपना काम पूरा किया, जिसके लिए मैं बाजार गया था। पर वापसी में बाजार में इतनी घनी भीड़ थी, कि पैदल चलने के लिए भी इस बात का इंतजार करना पड़ रहा था कि आगे वाला पैदल व्यक्ति आगे बढ़ेगा तो हम भी बढ़ेगे।

बाजार की तस्वीर आप सबको पता है। सड़क के दोनों तरफ दुकानें, एक दूसरे से सटी हुई। सभी दुकानों की शकल बिलकुल एक जैसी। आगे दोनों तरफ ईख, ऊपर झूलते हुए माटी फल और गागल, नीचे नारियल, गागल, कोहड़ा, बगल में एक तरफ तीन किस्म और तीन अलग अलग भाव वाले सेब, एक तरफ अमरूद और दूसरे फल, सबसे पीछे फलों की पेटियों से निकलने वाले कागज और कचरे, और उन्हीं के बगल में केले के घवद, बीच में बैठा होगा बिक्रेता, जिसके आगे होंगे छोटे छोटे और सूखे फल, जैसे हल्दी, अदरक, बादाम, पंचमेवा, आर्ता, और फिर अगरबत्तियां, वगैरह। दुकानें बड़ी या छोटी हो सकती हैं, उसपर काम करने वाले कर्मी भी 4 या उससे अधिक हो सकते हैं, ये ध्यान रखने के लिए कि कोई मुफ्त में ही उठाकर चल न दे।

भीड़ को देखा मैंने। पर कल भीड़ को देखकर मुझे अपने बिहारी होने पर उतना गर्व नहीं हो रहा था। क्योंकि कल मैं उस भीड़ को देखकर प्रसन्न होने वालों में नहीं था। कल मैं उस भीड़ से खुद को बचते बचाते निकाल पाने की कोशिश कर रहा था। कल मैं खुद को उस भीड़ का हिस्सा भी नहीं बनाना चाहता था। कल मैं देख रहा था कि लोग खरीददारी कर रहे हैं। लेकिन कल मैं किसी प्रकार का मोल भाव या Bargaining नहीं कर रहा था। कल मेरे हाथ में बोरा या झोला नहीं था, जिसमें फलों को खरीद कर आराम से घर ले जा सकता था मैं। कल फलों के सस्ते होने से ज़्यादा उनके अच्छे होने जैसी कोई प्राथमिकता वाली बात नहीं थी। कल मेरे मन में हाथ में आरता और रूई, पान पत्ता और सुपारी, मोमबत्ती और अगरबत्तियां, मिट्टी के दिए आदि बेचने वाले छोटे छोटे बच्चों के प्रति कोई विशेष सहानुभूति नहीं थी। मेरा मन भारी था, मेरे कदम भारी हो रहे थे, मेरे आंख नम होने वाले थे, मेरा गला रूंधने वाला था, सिर्फ ये सोचकर कि इस बार मेरे यहां छठ नहीं हो रहा है। और फिर बिना किसी से कुछ कहे, बिना कोई मोल भाव किए, बिना कुछ खरीदे इस साल छठ में मैं घर आ गया

कल खरना था। सुबह जब मैं टहलने निकला तो एक जन दूध खरीद रहे थे, Dairy में दूध पहुंचाने जाने वाले से। कम से कम चार लीटर खरीदा ही होगा। मुझे याद आया, आज खरना है, आज खीर बनेगी, गुड़ वाली, और पीतल या मिट्टी के बर्तन में बनेगी। किसी भी बिहारी से पूछ लेना, खरना के खीर का स्वाद कैसा होता है, और मैं लिख के देता हूं, वो तुम्हें बता नहीं पाएगा। और मैं आपको ये भी लिख कर देता हूं, जब आप हमारे यहां आकर वो खीर खायेंगे, आप भी नहीं बता पाएंगे।

शाम को व्रती लोग सूर्य मंदिर प्रांगण के पोखरा में स्नान करके वापस आ रही थी, छठ के पारंपरिक गीतों को गाते हुए, दो या अधिक के समूह में। उन पारंपरिक गीतों में उनके स्वजनों के नाम शामिल थे। और स्वजनों के नाम भी एक श्रृंखला में होते हैं, उम्र के हिसाब से। हमारे घर जब छठ होता है तो हम अपने आपने नामों का इंतजार करते हैं। आज भी छठ के गीत में अपना नाम सुनने पर हमें वो बचपन वाली ही feeling आती है।

शाम को गांव की गलियों में निकला। गीतें अब भी गुनगुनाई जा रही थी। लोग जिनके यहां खरना की विधि पूरी हो चुकी थी, वो लोग अपने घरों से बर्तनों में प्रसाद के रूप में खीर लेकर मुहल्ले में बांटने को निकल चुके थे। इस बार तो हमारे गांव के मुखिया प्रत्यासी श्रीमती मनीषा देवी जी के सौजन्य से पंचायत भर में बिजली के खंभों पर Light की व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन लोगों के हाथों में टॉर्च था फिर भी, उस स्थिति से निपटने के लिए जब बिजली चली जाए। किसी किसी के दरवाजे पर लोग आने जाने वालों को रोककर प्रसाद खिला रहे थे। मुझे याद आया, ये सब काम मैंने भी किया है। मैं भी जब तक अपने और अपने चारो तरफ के 4 मुहल्लों के सभी घरों के दरवाजे पर दस्तक देकर प्रसाद नहीं बांट देता था, तब तक घर वापस आकर चैन से नहीं बैठता था। एक पीतल की बाल्टी है हमारे पास, करीब 8-10 लीटर की। उस बाल्टी में भर भर कर दो बाल्टियां हम प्रसाद के रूप में बांट आते थे।

ये सारी बातें याद आने लगी तो मन फिर से भर आया, और फिर उन गलियों से, जिनमें कभी हम भी रात को एक टॉर्च के सहारे दो लोग घुमा करते थे, इस साल छठ में मैं घर आ गया

आज छठ का तीसरा दिन है, प्रथम अर्घ्य या फिर संध्या अर्घ्य का दिन। सुबह से ही सोच रहा हूं, कहां घूमने जाऊं। अपने गांव का सूर्य मंदिर है, छठ के लिए इतना बड़ा मैदान है, अर्घ्य के लिए पोखरा है, सुविधा के लिए कृत्रिम झरना भी है। और फिर परसो तो पोखरा की चारो तरफ से सफाई भी हो चुकी है। वरना तीन तरफ से तो इतनी सारी झाड़ियां थी कि 3 साल से सिर्फ उसके सफाई के बारे में विचार ही किया जा रहा था। माननीय सांसद और केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह जी ने अपने क्षेत्र के सभी छठ घाटों पर सफाई और बिजली के लिए रुपए भी दिए हैं, जो सारी व्यवस्थाएं छठ पूजा समिति के सहयोग से पूरी होनी है। हर साल इतना अपार जन समूह हमारे गांव बालबाँध आता है व्रत करने, और छठ पूजा के अद्भुत, विहंगम दृश्य का साक्षी बनने। मैं खुद हर साल सबको आग्रह करता हूं, अपने गांव का छठ पूजा समारोह देखने के लिए। ऐसे में मेरा कहीं और जाना ठीक है या नहीं ये असमंजस अभी तक बना हुआ है। लोगों की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो चुकी है। दुकानें लगनी शुरू हो चुकी हैं। वो सभी छठ घाट जो अभी दो घंटे पहले एकदम खाली थी, अब धीरे धीरे लोगों से भरने लगी है। सड़को पर अलग अलग स्वरों में अलग अलग गीत सुनाई पड़ने लगी है। और उन गीतों से तेज ध्वनि में गाड़ी वालों की Horn, जो आगे निकल जाना चाहते हैं। जल्दी उन्हें भी है, जिन्होंने अपने घर के किसी ऐसे सदस्य को ले जा रहे हैं, जो उतना लंबा सफर पैदल चलने में समर्थ नहीं है।

सूर्य मंदिर के छत पर लगी speaker में सबकुछ सुनाई पड़ रहा है, छठ के मधुर गीत भी, और उन्हीं गीतों को बीच में रोक कर किसी दान अथवा जरूरत की Announcement भी। तरपाल फैला कर लोग बैठ चुके हैं। अंधेरा हो चुका है। बत्तियां जल रही हैं। हालांकि अंधेरा इतना भी ज्यादा नहीं हुआ है कि सड़क पर बिना बत्ती के कुछ दिखे ना। लेकिन इतना जरूर हो गया है कि मंच के सामने लगे समियाना में बैठे लोगों को कोई भी चीज आसानी से देख पाना संभव नहीं है।

मैं अभी भी खुद को शून्य में समझ रहा हूं। ये वो छठ घाट है, जहां जब हमारा छठ होता है तो मुझे फुरसत नहीं होती किसी से बात करने की। घर से तारपाल ले जाओ, फिर ईख, फिर दउरा, और फिर एक एक सदस्य को, जो चल कर घाट तक जाने में असमर्थ हैं। और जैसे ही सबलोग घाट पर पहुंचते हैं, अर्घ्य दिलवाने जाना पड़ता है। अर्घ्य दिलवाने के लिए पहले तो व्रती लोगों के लिए पानी में उतरने और खड़े रहने की जगह तय करना, फिर घाट से जाकर फलों से लदा/सजा हुआ एक एक कलसुप लेकर बारी बारी से व्रती के हाथ में रखना, फिर उसे लेकर व्रती के पांच फेरे पूरे होने की प्रतीक्षा करना। और इन सभी पांच फेरों के दौरान पांच बार भगवान के नाम से जल अर्पित कर अर्घ्य पूरा करवाना, फिर एक कलसुप के पांच फेरे पूरे हो जाने पर दूसरा कलसुप, फिर तीसरा... ये सिलसिला हो जाता है। और जब अर्घ्य पूरा हो चुका, तब छोटे बच्चों के लिए खाने की व्यवस्था। क्योंकि इतने देर में इन्हें लग चुकी होती है भूख, और ये रोने लगते हैं।

ये सब बातें अभी खतम भी नहीं होती कि किसी न किसी काम से अंधेरे में, खाली पैर ही घर आना पड़ता है। खाली पैर इसलिए क्योंकि आप लेकर आए हैं दउरा, और दउरा लाने के लिए ना पैरों में चप्पल, और न ही कमर में belt चाहिए होती है। अगर गलती से भी आपने छठ के लिए कोई नई jeans खरीदी और वो आपके कमर में ढीली है, तो एक हाथ से दउरा और दूसरे हाथ से pant की जेब में रखकर पेंट को नीचे सरकने से रोके रहना कितना मुश्किल होता है, ये हम जानते हैं। सड़क अगर बनी हुई न हो, तो कंकड़ वाले रास्तों पर नंगे पैर चलना।

पर ये चीजें मायने नहीं रखती। आपके माथे पर रखा हुआ दउरा का बोझ आपके बोझिल मन से ज्यादा भारी कभी नहीं हो सकता। आपके हृदय में घर में छठ ना होने की खलल से ज्यादा रास्ते के कंकड़ कभी नहीं चुभ सकते। आप अपनी पैंट को हाथ से नहीं तो धागा बांध कर के भी संभाल सकते हैं, पर जब घर में छठ नहीं हो रहा हो तो बाकी लोगों को छठ करते देख आप खुद को संभाल नहीं सकते।

मैं शायद घर चला जाऊंगा। मैं शायद कान में Headphone लगा कर कोई Jazz Song या कोई Rap सुनना चाहूंगा, या कुछ ऐसा जो मुझे समझ न आए। पर आप आइए। ना सिर्फ घूमने के लिए और उन चीजों को सचमुच देखने के लिए, जो आपको लगता होगा कि मैं यूं ही कहता हूं छठ की भव्यता के बारे में, बल्कि इसलिए भी कि आप मुझसे मिले, और मुझे दिखाएं छठ की सुंदरता, भव्यता, लोक आस्था का सागर, और छठ महापर्व की महिमा। आप मुझसे कहिए कि मैं सही था, बालबाँध सूर्य मंदिर धाम पर छठ की भव्यता, सुंदरता, तैयारियां, जनसमूह, श्रद्धा, भक्ति, आस्था, विश्वास, एकजुटता, सहयोग भावना, समर्पण भावना, सूर्य मंदिर की खूबसूरती और प्रकृति के साथ इसके अद्भुत लगाव और स्थिति के बारे में।

आप आइए और मुझे घर जाने से रोकिए। आप आइए और कहिए मुझसे कि मेरे जैसा केवल मैं नहीं हूं। घाट पर पहुंचे हुए लोगों में भी ऐसे लोग बहुत मिल जायेंगे, जिनके यहां छठ नहीं हो रहा है, लेकिन वो इस बात से आहत नहीं है, बल्कि खुद को समझा लिए हैं, और अब इस भक्ति सागर में डुबकी लगाकर आनंदित हो रहे हैं। किसी को याद नहीं है कि उसके यहां छठ नहीं हो रहा है।

आप मुझे समझाइए कि वो जो मेरे घाट वाली जगह पर अपना घाट बना कर बैठे हैं, उन्हें आज वो Comfort मिल रहा है, जो तुम किसी के साथ बांटते नहीं थे। और देखो, वो परिवार खुश है। और ये वो परिवार है, जो बालबाँध का है भी नहीं। देखो, पोखरा के पानी में परावर्तित होकर दिखने वाला सूर्य मंदिर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा है। देखो, मंदिर की सजावट इसकी भव्यता पर चार चांद लगा रही है, और इसे करनौल से भी आसानी से देखा जा सकता है। देखो तो रौशनी कितनी दूर तक फैली हुई है। देखो तो, रात हो चली है, और दीए की रौशनी कितनी आकर्षक लग रही है। देखो तो, वो छोटे छोटे बच्चे पटाखे छोड़ रहे हैं। चलो, उन्हें रोकते हैं या फिर निर्देश देते हैं कि पटाखे खुले मैदान में छोड़े। आसपास धान की अच्छी फसल लगी हुई है, जरा देखो तो, और ये Phone बंद करो पहले।

क्योंकि आंखों के सामने की Physical दुनिया इस Digital दुनिया से कहीं ज्यादा खूबसूरत है।
आइए और कहिए मुझसे कि छठ जीवन में एक ही बार नहीं आता।

और अगर आप आयेंगे, तो मुझे अच्छा लगेगा। नहीं तो फिर इस साल छठ में मैं घर तो चला ही जाऊंगा


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Friday, 5 November 2021

Dipawali, Crush and Imagination

कल उस रस्ते से गुजरा मैं, जिस रस्ते में उसका घर पड़ता है. याद नहीं क्या, वही घर, जिसकी खिड़कियाँ मुझे मायूस कर देती हैं, हर रोज. ओ, तो मतलब आपने मुझे YourQuote पर नहीं पढ़ा शायद. कोई बात नहीं, link दिया हुआ है मैंने अपने id का, पढ़ियेगा. और कल तो मैं ऐसे समय पर गया था, जब हर तरफ दिये जगमगा रहे थे. कल मेरी bike की speed फिर से 30 थी. शुरूआती कारण शायद ये था कि मुझे ठण्ड लग रही थी.

ठण्ड के बारे में मुझे के बात अच्छी लगती है. ये बहुत ही ऊँचे सिद्धांत वाली है. ठंढ भी उस समय तक लगती है, जब तक आप ठण्ड के बारे में सोच रहे हैं. ठण्ड को भूल जाने के बाद ठण्ड नहीं लगती. और उसके घर के पास से गुजरते ही मैं भूल गया मुझे ठण्ड भी लग रही थी.

पर क्या है न, किसी भी चीज़ को भूल जाना इतना आसान नहीं होता. उसके लिए किसी और चीज़ को याद में लाना पड़ता है. किसी चीज़ को भूल जाने के लिए किसी दुसरे की याद में खो जाना पड़ता है, किसी दुसरे चीज़ में खुद को गुम करना पड़ता है. और अगर मैं कह रहा हूँ कि उसके घर के पास से गुजरते ही मैं ठण्ड को भूल गया, तो जाहिर है मैं भी किसी और याद में, किसी और विचारो में खोया होऊंगा.

और किसी और विचारो में खोना, वो भी उसके घर के सामने से गुजरते ही!!!! कहीं मैंने उसे ही तो नहीं देख लिया!!! हो भी सकता है. क्योंकि मेरे साथ ये हमेशा ही हुआ है कि एक ख़ास शख्स को देख लेने के बाद मैं उसे देखता नहीं रह जाता, बल्कि उसके बारे में कई सारी बातें, उससे जुडी कई सारी यादें, सब कुछ जेहन में एक साथ आने लगता है. और तब मेरे लिए उस शख्स को देखने से ज्यादा important ये हो जाता है कि दिमाग में जो यादों का Traffic Jam लगा है, पहले उसे clear कर लूँ.

तो ये भी हो सकता है कि उसके घर के सामने से गुजरते हुए मेरी नज़र किसी चीज़ पर पड़ी, और फिर मैं उसके ही बारे में सोचता हुआ, अपनी उलझनों को सुलझाता हुआ आगे बढ़ गया, और ठण्ड के बारे में भूल गया. मुझे साफ साफ याद है कि bike मैं ही चला रहा था. और सामने आने वाली चीजों को ठीक से observe भी कर रहा था. क्योंकि शाम के समय ये तय कर पाना मुश्किल होता है, कि सामने दिख रहे दो headlight किसी एक four wheeler के हैं या दो two wheelers के.

उसके घर से गुजरते वक़्त मैंने नीचे Main Gate से लेकर ऊपर आख़िर तक में देखा था. और अगर आप एक maths के student हैं तो आपके लिए ये calculate करना मुश्किल नहीं है कि 30 kmph के speed से किसी 10 foot चौड़ाई वाले घर को cross करने में 0.53 second का समय लगता है, अगर bike कि लम्बाई (4.5 foot) को भी शामिल कर दें तो. और अगर घर की चौड़ाई के बारे में कोई संदेह हो, तो मैं बताना चाहूँगा कि मैं सिर्फ उस एक हिस्से की बात कर रहा हूँ, जिसकी खिड़कियाँ मुझे मायूस कर देती हैं. वो हिस्सा जिसके खिडकियों पर हमेशा ही पर्दा टंगा होता है.

कल देखा मैंने उसे, दिये जलाते हुए. और मुझे यकीन है मैंने उसे ही देखा है, जिसको देखने के लिए मैंने उधर देखा था. सबसे ऊपर वाले छत के railing पर, एक दिये से बाकि दिये को भी जलाने की उसकी कोशिशों में आज पवन भी उसके साथ था. पिछले साल यही काम मैं कर रहा था, तो हवा के कारण मुझे समय ज्यादा लग गया था, और ऐसे में मेरे पटाखों को थोडा ज्यादा देर तक इंतज़ार करना पड़ा था.

यह एक Representing तस्वीर है.

यह एक Representing तस्वीर है.

मिट्टी के ये दिये जिन्हें एक निश्चित अनुमानित दुरी पर रखती हुई वो अच्छी लग रही थी. अच्छी लगने के पीछे वजह थी रात. दीयों की रौशनी इतनी शांत शांत सी थी, कि उतने रौशनी में अच्छे से सिर्फ उसकी कलाई दिख रही थी. Light की 100% opacity में सिर्फ उसकी कलाई दिख रही थी, जिस हाथ से उसने वो दीया पकड़ा हुआ था. बाकि 65% opacity में गले से ऊपर का उसका चेहरा. और उस 65% opacity वाले light में भी उसके चेहरे के उभार (जैसे गाल, नाक और माथा) पर रौशनी थोड़ी तेज़ थी.

या तो मैंने उसका dress देखा नहीं, Low light की वजह से, या तो मुझे याद नहीं है. क्योंकि अगर मुझे याद होता तो मैं बताता कि उसने पहना हुआ था एक ग्रे रंग का गाउन फ्रॉक. कल उसने अपना मुंह नहीं ढक/बांध रखा था अपने दुपट्टे से, बल्कि उस दुपट्टे को उसने रखा हुआ था सिर्फ एक कंधे से, जो दोनों तरफ से जमीन को छू रहा था. और इससे पता चल रहा था उसका कद. मैं बताता कि उस धीमी रौशनी में उसके curl अच्छे लग रहे थे.मैं बताता कि उसने जो नीले रंग की सैंडल पहनी हुई थी, उसके glitter चमक रहे थे. उसका वो एक नग वाला nosepin, और उसके कानों में झूलते हुए उसके हाथ की चूड़ी के आकार के झुमके, उसके फ्रॉक के गले का design और फिर उसके गले का वो necklace, एक तरफ से नीचे तक दुपट्टा, और एक तरफ 4 inch sleeve के बाद की कसीदाकारी, कमर में एक belt जो शायद उस फ्रॉक के साथ में मिला था, और चेहरे पर smile, इस combination को ठीक ठीक बता पाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.

पहले मंजिल पर दीया जलाने की जगह के नाम पर सामने वाली खिड़कियाँ थी. और ये वही खिड़कियाँ हैं. तो इसपर आज भी पर्दा लगा हुआ था, इसलीये कोई दीया नहीं था इनके ऊपर. हाँ पर उस झिल्लीदार पर्दे से ये तो पता चल ही रहा था कि अन्दर कमरे में रौशनी काफी तेज़ थी. इन वफादार पर्दों के बारे में मैंने लिखा था कि:-
"उन पर्दों से वो पूरा काम ले रहे हैं त्योहारों में,
जब से हम दिखने लगे हैं उनके गलियारों में..."

मैंने देखा उसे छुरछुरी जलाते हुए, और उसे बिना हवा में घुमाए चुपचाप बुझने तक देखते हुए. Sparkling से निकलने वाले धुए से वो खुद को छुपाना चाहती थी, या फिर रौशनी को एक ही जगह रख कर वो खुद को दिखाना चाहती थी.
यह एक Representing तस्वीर है.

यह एक Representing तस्वीर है.

वापस से उसी dress code के साथ उसके हाथों में ये छुरछुरी, और उससे भी ज्यादा उसके आँखों में चमक. क्योंकि कई बार इंसान होठों पर मुस्कान का नाटक कर सकता है. ऐसे में उसकी ख़ुशी का गवाह उसकी आँखे ही होती हैं. और कल वाली आँखों में चमक थी, नमी नहीं.
यह एक Representing तस्वीर है.

उसके आँखों में चमक थी, शायद ये देख कर, कि हर तरफ लोग खुश नज़र आ रहे हैं.

कल मैंने उसे sky lantern हवा में छोड़ते देखा. वो जिसकी रौशनी में फिर से दिख रहे थे उसके हाथ, और उसका चेहरा. वो जिसे हवा में छोड़ देने के बाद उसने काफी देर तक नज़रों से उसका पीछा किया. और उस पल उसकी ख़ुशी, मैं महसूस भी नहीं कर सकता, बताना तो दूर की बात है.
यह एक Representing तस्वीर है.

मैंने कहा कि मैंने उसे देखा Lantern हवा में छोड़ने के बाद काफी दूर तक उसको देखते हुए, उसका पीछा करते हुए. मैंने उसे देखा दीया जलाते हुए. मैंने उसे देखा छुरछुरी जलाते हुए. इतना सबकुछ देखने के लिए तो उसके घर के सामने खड़े होकर, छत की ओर मुंह करके बिना पलके झपकाए कम से कम आधे घंटे देखना पड़ेगा. और मैंने ये भी कहा कि उस घर को 30 kmph के speed से cross करने में सिर्फ 0.53 second लगते हैं.

आधे घंटे रुकना मेरे लिए मुश्किल था, इसलिए भी क्योंकि उसी घर में एक दुसरे हिस्से में एक परिवार था, जो Ground Floor पर अपनी दिवाली मना रहा था, selfie ले रहा था, पटाखे छोड़ रहा था. ये देखकर कि उस परिवार में एक बालिका थी, और मेरा रुकना उस परिवार के लिए एक concern हो सकता था, मैं सीधा अपनी speed से आगे निकल गया.

अगर मैं और बढ़िया से बताऊँ, तो उसके घर से मेरे घर की दुरी उसी रफ़्तार से 4 मिनट की है. और अँधेरे रस्ते में मैं आधे घंटे रुक नहीं सकता. तो मतलब मैंने घर आने के बाद उसको देखा है, अपनी कल्पनाओं में. कल उसके घर के पास से गुजरते वक़्त जब उसके घर पर मेरी नज़र गयी, तो एक बार में मैंने देख लिया कि कहीं कोई रौशनी नहीं जल रही थी, अँधेरा था. बगल के घर से पड़ने वाली light से पता चल रहा था कि वो पर्दा आज भी लगा हुआ था.

तो कल दिवाली के दिन भी उस घर में मैंने अँधेरा देखा, जिसकी खिड़कियाँ मुझे अक्सर ही मायूस कर देती है. आस पड़ोस के घरों में तो काफी चहल पहल थी. मैंने देखा, उसी घर के दुसरे हिस्से में काफी रौशनी थी. घर के सदस्य काफी खुश थे, Selfies ली जा रही थी, छुरछुरी जलाई जा रही थी. घर के जिस दुसरे हिस्से में रौशनी थी, उसे देख कर लग रहा था मानो दिवाली सचमुच बहुत खुबसूरत होती है.

हर रोज की मायूसी एक तरफ है, और कल की मायूसी एक तरफ. पर क्या है न, अच्छा है. कल अगर रोज वाली मायूसी होती, तो मन ज्यादा ही मायूस होता. अच्छा हुआ कल वाली मायूसी रोज वाले मायूसी जैसी नहीं थी. ये थोडा अजीब है, लेकिन मेरे Point of view से सच है. क्या है न, हम हैं कवि किस्म के. और कवियों के लिए एक कहावत है- "जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि".


तो उसके नहीं दिखने से मायूस होने से बढ़िया है मन में उसकी एक अच्छी वाली तस्वीर बना लो.



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Thursday, 21 October 2021

Crush and Confession

Crush sitting below the electricity board, behind the door


तो ये इतना आसान भी नहीं है. ये बिलकुल भी ऐसे नहीं है कि “किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं.” क्योंकि संज्ञा की एक ही परिभाषा होती है, फिर चाहे कहने के तरीके बदल जाये. जैसे कि “हर वो नाम जो किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थान को संबोधित करता हो, संज्ञा कहलाता है.”

Crush के बारे में ऐसा बिलकुल भी नहीं है. क्योंकि Crush के लिए न सिर्फ तरीका, बल्कि परिभाषा भी बदल जाती है. अगर अलग अलग लोगों से crush की परिभाषा पूछी जाये, तो अलग अलग जवाब मिलेगा. लेकिन सब परिभाषाओं में एक चीज़ तो Common मिलेगी, “अच्छी लगना”. अगर आपकी कोई Crush है, तो इसका मतलब वो आपको अच्छी लगती है. लेकिन सिर्फ किसी का अच्छा लगना ये तय नहीं करता कि वो Crush है या नहीं है.

क्या है न, कि अच्छा लगने के अपने अपने पैमाने हैं. अगर मैं कहूँ कि मुझे आरा अच्छा लगता है, तो वो इसलिए क्योंकि मेरे अच्छा लगने के पैमाने पर आरा आ जाता है. लेकिन किसी को आरा अच्छा नहीं लगता, तो इसका मतलब है कि उसके अपने पैमाने हैं जिसपर आरा नहीं आता. तो ये पैमाने पर निर्भर है कि कोई आपकी Crush हो सकती है या नहीं और इसके लिए आपको किसी के परिभाषा की जरुरत नहीं है.

लेकिन मैंने कहा कि सभी परिभाषाओं में एक चीज़ Common होगी, अच्छा लगना. इसका मतलब कि अच्छा लगने के अलावे भी कुछ पैमाने हैं. जैसे कि उसतक Approach होना. और मैं ये बता देना चाहता हूँ कि Approach होने का ये मतलब कि आपको उसके बारे में, (उसका Address, उसका नाम, उसके पिताजी और भाई का नाम और Status, उसके Society में उसकी इज्जत, उसके Ambition आदि) पता कर सकें. लेकिन ये सब उन दायरों में करें जिसको Stalking न कहा जा सके.

Stalking मुझे लगता है कि आपको समझना चाहिए. अगर हम Stalking की बात करें तो मेरा कहने का ये मतलब होगा कि कोई ऐसी हरकत न करें जिसके बारे में बाद में कभी उसको पता चलने पर उसको आपके ऊपर गुस्सा आये. यहाँ पर ये कहना कि इश्क़ और जंग में सब जायज है, मैं आपको साफ साफ बता दूँ कि किसी पर Crush होने में और किसी से इश्क होने में फर्क है. और इस फर्क को समझना चाहिए.

किसी पर Crush होने का मतलब कि आपको वो या उससे जुड़ी कोई चीज़ अच्छी लगती है. आप हमेशा उसे वैसे ही देखना चाहते हैं जैसे कि आपने पहली बार देखा था. उदहारण लेकर चलते हैं. मान लीजिये मुझे उसकी मुस्कराहट अच्छी लगती है. तो अगर मुझे उससे इश्क है, तो मैं कोशिश करूँगा कि उसकी मुस्कराहट वैसी ही बनी रहे, लेकिन अगर मेरा उसपर सिर्फ crush है, तो मैं उसकी मुस्कराहट के लिए कोशिश नहीं करूँगा, बल्कि सिर्फ दुआ करूँगा. क्योंकि ये इश्क नहीं है, जहाँ सब जायज है. वो आपको बस अच्छी लगती है.

आप YouTube देखते होंगे. दो तरह के Viewer होते हैं. एक तो वो, जो Feed में कुछ भी आता है बस उसी में से कोई एकाध Video देखते हैं. जैसे मुझे अगर Filtercopy, Binge, Alright, TSP, RVCJ Media, Arre, The Viral Fever, POPxoDaily, The Timeliner, Gobble, Harsh Beniwal, Patakha, This is Sumesh, ScoopWhoop आदि की Video Feed में दिख जाए, तो मैं उन्हें देख कर ही आगे Scroll करता हूँ. लेकिन मैंने इनके Channel को Subscribe नहीं किया है. और अगर कुछ दिन तक Feed में इनके Video दिखने बंद हो जाए, तो मैं Search भी नहीं करता कि आखिर क्या बात है जो कोई Video नहीं आई. लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो Channel को Subscribe कर देने के बाद भी Channel Search करते हैं, नयी Video का Update पाने के लिए. तो बस इतना ही फर्क है किसी पर Crush होने में और किसी से इश्क होने में.

Crush का यही मतलब होता है. आपको कोई लड़की अच्छी लगती है. शायद इतनी अच्छी लगती है कि आप खुद को भी नहीं बता सकते, दुसरो को बताने के लिए तो फिर भी शब्द की जरुरत होती है. और वो क्यों अच्छी लगती है, कितनी अच्छी लगती है, ये भी नहीं बता सकते. तो जब किसी के बारे में उसके नाम के अलावा सिर्फ और सिर्फ इतना ही पता हो कि “वो आपको अच्छी लगती है”, समझ लो उसपर Crush है तुम्हारा.

लेकिन शर्त है. किसी का इस कदर अच्छा लगना कि खुद को भी बता पाना मुश्किल हो क्यों और कितना, crush होना तभी कहा जायेगा जब वो वर्तमान में हो. मैंने पहले ही कहा कि किसी के बारे में उसके नाम के अलावा सिर्फ और सिर्फ इतना ही पता हो कि “वो आपको अच्छी लगती है”. अर्थात अभी भी अच्छी लगती है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि “वो आपको अच्छी लगी, या अच्छी लगी थी”.

अच्छी लगने वाली बात का Present Indefinite Tense में होना इसलिए भी जरुरी हो जाता है, क्योंकि ‘जो काम Past में शुरू होकर वर्त्तमान में अभी तक होते आ रहा है, और आगे भी कुछ दिन होते ही रहने की संभावना हो, उसे Present Indefinite Tense में माना जाता है.’ और किसी का अच्छा लगना आप ऐसे 10 मिनट में तय नहीं कर सकते. उसका इत्तेफाकन बार बार दिखना, और हर बार अच्छा लगना ही वो Milestone है उसके Crush बनने की.
और हाँ, मैंने कहा ‘उसका बार बार इत्तेफाकन दिखना.’ मतलब उसका इतना ही अच्छा लगना कि वो बस आपको इत्तेफाक से दिख जाए. और आप उसको देखने के लिए कोई कोशिश नहीं करें. क्योंकि कोशिशें प्यार में की जाती हैं. और मैं प्यार की नहीं, Crush होने की शर्ते बता रहा हूँ.

मुझे प्यार नहीं आता. वैसे तो मैं Crush को भी किसी Definition में नहीं बांधना चाहता था. लेकिन कुछ दोस्तों ने जिद कर दी. प्यार करना सीखना है मुझे. और मुझे यकीन है मैं एक अच्छा Learner हूँ, तो अगर कोई सीखाना चाहे तो मैं आसानी से सीख जाऊँगा. लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये मौका भी मैं अपनी भावी जीवन साथी को ही दूँ.

मैंने कहा कि Crush बनाने में Stalking गुनाह है. इसका ये भी मतलब है कि आपके पास आपके Crush की कोई वर्त्तमान तस्वीर नहीं होनी चाहिए. (वैसे तो पुरानी भी नहीं होनी चाहिए). आप उसे Social media पर Follow नहीं करेंगे. उसके Photos को Zoom करके नहीं देखेंगे, और उसकी तस्वीर देखने के बाद आपकी आँखों में Desperation तो बिलकुल ही नहीं दिखनी चाहिए. उसकी तस्वीर/Number निकलना, उसको Social Media पर Follow करना, उसके गली मोहल्ले में चक्कर लगाते रहना, उसके घर वालों से दोस्ती करना, ये सब Stalking माना जाता है.

अगर आप उसको Stalk करते हैं, तो हो सकता है वो आपकी हरकतों पर गुस्सा हो. हो सकता है उसे आप अच्छे नहीं लगें, और हो सकता है तब वो आपको देख कर मुस्कुरा नहीं पाए. दूसरा ये भी हो सकता है कि उसे आपके Efforts (कोशिशें) देख कर, आपके हिम्मत देख कर आपसे प्यार हो जाए. क्योंकि कुछ लोग प्यार को इस तरह भी परिभाषित करते हैं. इनमें से किसी भी स्थिति में आप Crush वाली शर्तों को तोड़ते हैं, और फिर वो Crush नहीं रह जाता.

Crush में उसके गुस्सा होने की, या उसके प्यार करने की बिलकुल भी कोई सम्भावना नहीं होनी चाहिए. यहाँ तक कि आपकी किसी भी हरकत से उसे महसूस भी नहीं होना चाहिए कि आपका उसे ऊपर Crush है, यानी वो आपको अचिछी लगती है. प्यार में होते होंगे Sacrifices, लेकीन वो कभी भी Crush की तुलना नहीं कर सकता. और हाँ, Crush को कभी भी एकतरफा मोहब्बत कह कर संबोधित मत करना. क्योंकि ये एक तरफ़ा नहीं होता है,

कौन कहता है कि Crush होना एकतरफ़ा मोहब्बत होना है. अगर मुझे वाराणसी अच्छा लगता है, तो इसका मतलब वहां की हवा में, वहां के गंगा घाटों पर, वहां के मंदिरों में, वहां की गलियों में, वहां के सड़कों पर, वहां की सुबह, वहां की शाम, वहां के लोग, और लोगों के विचार, कुछ तो होगा जो मुझे अच्छा लगता है. इसका मतलब कहीं न कहीं अगर मुझे वाराणसी अच्छा लगता है, तो इसके पीछे वाराणसी का भी थोडा बहुत हाथ है. अगर मुझे उसकी मुस्कराहट अच्छी लगती है, तो इसका मतलब उसने ऐसी मुस्कराहट रखी हुई है जो मुझे अच्छी लग गयी. यानी उसकी मुस्कराहट अच्छी लगने में उसका भी हाथ है. तो फिर ये एकतरफा कैसे हो सकता है!!!??

Crush होने का मतलब उसके दिख जाने के बाद आपको लगता है कि बस, अब और किसी को देखना बाकी नहीं रह गया. लेकिन उसको देखते रहने के बाद भी आपको लगता है कि अभी उसको ठीक से देखा कहाँ है!! लेकिन इश्क होने में उसके दिख जाने के बाद उसका हाल जानना होता है.

उसके Affairs, उसके नए पुराने रिश्ते, उसका किसी और के प्रति आकर्षण, उसके हाथ में Smartphone, उसके शादी की Date, उसके Qualifications, उसके Job Status (Designation) आदि से ये बात बिलकुल भी प्रभावित नहीं होनी चाहिए कि वो आपको अच्छी लगती है. ये सब तो बहुत दूर की बात है, वो आपको अच्छी लगती है, इसका इस बात से भी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि वो Real भी है या Fake है, Physical भी है या सिर्फ Virtual है, आपके उम्र की है या नहीं. क्योंकि किसी के अच्छा लगने की कोइ शर्त नहीं होती.

मैंने कहा कि Crush होना प्यार होना नहीं है. इसका मतलब वो सब लोग, जिन्हें आप किसी न किसी रूप में प्यार करते हैं, अथवा प्यार कर सकते हैं, आपकी Crush नहीं हो सकती.

This is not the complete elaboration of the meaning of CRUSH. This is my point of view, which may vary from the same of others.

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Thursday, 12 August 2021

Dear Future Wife

 Dear Future Wife

I hope you have read the previous parts of this expectation notes series. If not, visit it Dear Future Wife and Dear Future Mate. This note is going different. I hope you will try to understand what I am saying and why. I don't know where to start. I am afraid. And if you first want to know the reason, I have recently watched every episode of Mere Paas Tum Ho drama.

I am just afraid. If you go through the previous series, you will see that I have no expectations from you. I don't want anything from you. I am still firm at my decision. I love you, no matter where you are, how you are, when you will come into my life socially and religiously. I don't know whether I deserve you or not and you deserve me or not. But I would like to know your expectations and fulfill them at my best, if they are in my approach. You can check out my fiction novel The Second Statement in which I have tried my best to show some perfect relations, friendship, Love and Chemistry. There is no villain. There is no Love Triangle. There is no misunderstanding.

You can suppose it, but that's not actually, my expectations from my future mate. I always define Love among my friends. I always feel proud, having you in my life. They always say, once the love is created the life is devastated. I don't believe them. They suggest me to have an experience how to love someone. I don't accept their ideas. I don't know whether someone will be my temporary partner or not. I don't know I am right or wrong, if I make some love with any other girl than you (my future wife).

I just don't want to give you the second position. And it is easy, as I have seen some examples, to hide pre marriage love from wife. But I don't allow myself. I don't because I know this is cheating and I get the same in return. I don't expect you to be my type. I have not customized my type. Because I think if I customize my type, there must be a girl fulfilling all the criteria. And sometimes, I am flown with a girl in my eyes and I just expect a copy of the girl.

Many know, because they want me to make love, that my love is secured for you. And yes, I have made this commitment to Love my Future Wife with its completion. But if I love someone before you, the Love you deserve will become lesser. And I don’t want to make any compromise when it comes to you. Many have appreciated me for my commitment. They know this is not hard to make. But this is hard to make yourself stable and firm at the decision, despite being in a circle where almost all are committed.

They call me single. Typically this word suits to me. But I call myself committed with you (Future Wife). Someone asked me, have you ever been in love? I replied in negative. He did not believe, but pretended that he did. He asked me, “God forbid but will she be loyal to you?” I said, “I am not going to have a pet dog.” I had ignored this question because I had not seen anything going like this. I thought the question was to tease me.

But since I have completed the drama Mere Paas Tum Ho, I’m afraid. The question is repeated in my mind numerous times, “Will she be loyal to you?” I don’t know whether you will be loyal to me or not. Actually I don’t want to know. It’s your choice. You may or may not. But my question is what if you are not? I want to repeat that I don’t expect your being any kind. You may or may not be fulfilling the scale of being a perfect partner.

So, the proposal is:-

"Would you like to start a life with a naive partner who doesn't know Love Making!!"


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Monday, 22 March 2021

Memories, Regret and micro tale with Crush

memories, regrets an micro tale with crush, some regrets are good to memorize and recall them when free mind.
A drawing by the web admin Shashikant Sharma

कल रात को मैंने एक Mini Web Series देखी, ImMature.  प्रेम मिस्त्री के निर्देशन में ओमकार कुलकर्णी और रश्मि अग्देकर ने बहुत खूब किरदार निभाया है. कहानी एक School की है, जिसमें लोग पढ़ते हैं. फिर एक backbencher लड़के को एक Frontbencher लड़की पसंद आ जाती है. फिर दोनों में प्रेम होता है, और एक को शहर छोड़ कर जाना पड़ता है.

कहानी में अगर concept की बात करें, तो कुछ भी नया नहीं है. YouTube पर अगर आप School Love Story लिखकर Search करें, तो 10 में से 9 videos में यही concept देखने को मिलेगा. पर फिर भी मैंने इसे देखा. लड़के को लड़की पर Crush होता है, और वो भी बहुत बड़ा वाला. इतना बड़ा वाला, कि अगर वो सामने हो, तो आवाज़ नहीं निकलती. अगर वो आसपास हो, तो इतना nervous हो जाता है लड़का, कि वहाँ से उसे भागना पड़ता है. पर ये कहानी छोडिये. क्योंकि सबके साथ यही होता है, अगर Crush हो तो.

सुबह मैं Bike लेकर निकला तो अकेले होते हुए भी आज मेरा Odometer बढ़ नहीं रहा था. मैं 32 के Speed से चला हूँ, करीब आधे घंटे. इस बीच मैंने खुद से बातें भी की, और मुस्कुराया भी बहुत हूँ. आज ये Realize हुआ है कि life में न, कुछ चीजों का Regret रह जाना भी ठीक है. अच्छा लगता है, अगर आप अपने जीवन से जुडी कुछ पुरानी चीजों को, कुछ पुरानी बातों को miss करते हैं.

अगर सीधे-सीधे अपनी बात पर आना चाहूँ, तो उसका नाम था नेहा. Classmate थी, और मेरी दूसरी Crush थी. शुरू-शुरू में मैं Frontbencher हुआ करता था. फिर मुझे कुछ दोस्त मिल गए, और मैं Backbencher बन गया. लेकिन वो Frontbencher ही रही. उसने अपनी seat नहीं बदली, और न ही class में अपनी Position. मैं पढने जाता था, पर उसे देखने के लिए नहीं, उसको दिखाने के लिए.

हमने कभी भी Co-Operation से काम नहीं किया. मुझे उससे चिढ रहती थी. इसलिए क्योंकि वो सबकी चहेती थी.सब उसे बहुत मानते थे. सब उसे बहुत चाहते थे. नाम भी तो नेहा था, अंग्रेजी में Adorable. पर उसी class में नेहा नाम की दो और लड़कियां भी थीं. लेकिन किसी का Crush बनने के सारे गुण इसमें थे, उन दोनों में नहीं.

अगर हमने Co-Operation से काम लिया होता, तो मैंने भी उसकी notebook मांगी होती, और Return करते समय उसपर कुछ लिख कर दिया होता. मैंने भी exam में उससे help मांगी होती, या उसकी help की होती. मैंने भी पीछे से उसकी Copy में झाँका होता.

अगर गलती से हम आगे-पीछे नहीं भी बैठते, तो हमने भी इशारों में बातें की होती, और हमने भी बराबर Number लाया होता. लेकिन हमने कभी Co-Operation को अपने Ego से जीतने ही नहीं दिया. अगर हमने Co-Operate किया होता, तो हम भी आपस में Group Study करते या एक दुसरे के Doubts आपस में Clear करते.

पर नहीं न. उसे तो मेरा नाम भी बस इसलिए पता था क्योंकि हम 8 बाई 12 के एक ही Classroom में पढ़ते थे, और लोग मुझे मेरा नाम लेकर बोलते थे तो उसने कभी सुना होगा. पर मुझे तो सबकुछ पता था. मुझे तो ये तक पता था कि वो यहाँ की थी भी नहीं, बल्कि कहीं और से आये थे पुरे परिवार, और अब यही रहने लगे हैं. मुझे तो उसके बारे में ये तक पता था कि वो कितने भाई-बहन है और कौन कहाँ रहता है. मुझे ये तक पता था कि उसकी Height मेरे नाक के जितनी बराबरी पर थी, और उसका पास से गुजर जाने के बाद मुझे 12 मिनट 43 सेकंड लगते थे Recover होने में.

हाँ, पर अगर उस समय कुछ नहीं पता था तो बस ये कि वो मेरी Crush थी. क्योंकि उस समय मुझे यही नहीं पता था कि Crush क्या होता है. मैं Class आने के बाद सबसे पहले उसी को ढूंढता था. और अगर वो दिख जाती थी, तो लगता था रात भर रट्टा मारना बेकार नहीं गया. सब चीजें याद होती थी मुझे. सारे Concepts Clear होते थे. लेकिन class में अगर मुझसे कुछ पूछा गया हो, और उसने पीछे मुड़कर मेरी तरफ देख ली हो, मैं भूल जाता था सबकुछ. इसीलिए हमने कभी एक दुसरे को कोई help नहीं की.

पता है, मैं इस तरह का डरपोक था कि एक बार गलती से हम दोनों एकसाथ सीढियाँ उतर रहे थे, तो मैं गिरते-गिरते बचा. फिर मैं वही सीढियों पर रुक गया, और जब वो उतर गई, तब मैं उतरा. मेरी कोशिश जरुर रहती थी, पर उसके आस-पास होने पर मैं Normal नहीं रह जाता था. और ये बात मुझे उस समय नहीं पता था. वरना आज बात कुछ और होती. भले अभी जो है उससे ख़राब ही होती, पर कुछ और होती.

उसने कहा था:- "लोग मेरी आँखों से डरते हैं." सही बात है. मुझे वो आँखें जादूगरनी लगती हैं. मैं उन आँखों को देखना नहीं चाहता. class में भी मेरी कोशिश होती थी, मैं उन आँखों को न देखूं. पर उसे लगा मेरे में attitude है. मैं क्या attitude दिखाऊंगा.

पता है, अगर मुझे पहले पता होता कि मेरा उसपर Crush है, तो मैंने भी उसको Ice-Cream के लिए पूछा होता. जबकि मुझे पता है कि उसने Reject ही करना था. Farewell पर मैंने भी उसको कुछ लिख कर दिया होता. जाते जाते मैंने उससे ये पूछा होता कि आगे का क्या Scene है. उसकी Advice ली होती कि मुझे क्या करना चाहिए.

मैं सबकुछ करता था. लेकिन मुझे कभी ये पता नहीं चला कि क्यों करता हूँ. उसके दिख जाने के बाद जो सुकून मिलता था न भाई, 30 में से 30 मिलने पर भी वो सुकून नहीं मिला कभी. पता है, उसकी मुस्कराहट से ज्यादा उसकी हंसी मुझे अच्छी लगती थी. क्योंकि जब वो खिलखिलाकर हंसती थी न, तो उसके right side के दांत दीखते थे जो बड़े-छोटे हैं, और अव्यवस्थित तरीके से हैं.

अगर मुझे पता होता कि वो मेरी Crush है, तो मुझे भी उसके आने पर सबकुछ Slow Motion में होता हुआ महसूस होता. मुझे भी लगता कि उसके लहराते बाल और उसकी मुस्कराहट देखकर आसपास की सारी चीजें अच्छी लगने लगी. मुझे भी लोग आवाज़ देते, और मैं उसे देखने में खोया रहता. मैं भी Close Up से Brush करके जाता पढने.

पर क्या होता है इन सब से? मैंने एक दिन उसे Message किया, Hi, This is me, (__my name__). उसका सवाल आया- "मेरा Number कहाँ से आया तुम्हारे पास?" फिर मुझे Block भी किया गया. पर कोई बात नहीं. मेरा Self-Respect नहीं टुटा. इसलिए क्योंकि एक तो बिना उसकी मर्ज़ी के मैंने Number निकाला था, दुसरे वो मेरी Crush थी ये बात मुझे बाद में पता चल गई थी, class ख़तम हो जाने के बाद. Number Deleted.......

लेकिन Telegram वालों को एक अलग ही Chul होती है. वो कहते हैं कि number delete भी हो गया तब भी वो बताएँगे कि इस number से Telegram account बनाया गया है. तो मुझे खबर मिला. मैंने Profile देखी. फिर एक photo की sketch मैंने बना दी. वो sketch आज भी मेरे जेब में पड़ी है. पर सुबह नहीं थी.

सुबह जब मैं Bike चला कर जा रहा था, तो मेरे मन में उस Film को याद करके सिर्फ-और-सिर्फ नेहा के ही ख्याल आ रहे थे. यहाँ तक कि आज जब मैं maths के question solve कर रहा था, तो उसमें भी नेहा वाला एक question था. उस question को मैं solve नहीं कर पाया. और इत्तेफाक़ ये था कि आज सुबह जब मैं वापस आ रहा था, तो मुझे नेहा दिखी. मेरी Heart beat थोड़ी तेज़ हुई. आज उसे देखकर सबकुछ Slow Motion में लग रहा था. आज उसे देख कर लग रहा था जैसे सिर्फ मैं हूँ, सिर्फ वो है, पतझड़ है, और हलकी हलकी धुप है.

मेरी कल्पना शक्ति अगर ठीक हो तो मुझे लग रहा था Mask के पीछे छुपा हुआ उसका चेहरा मुस्कराहट से भरा होगा.उसके आँखों की चमक देखकर लग रहा था जैसे उसे भी कुछ तो कहना था. और मुझे भी कुछ तो कहना था. और आज तो कोई भी नहीं है उसके और मेरे दरमयान, अगर मैं अपने डर की गिनती न करूँ तो. पर चलो, आज अपने डर पर काबू पाया जाए. आज उससे बात किया जाए. क्यों न उसे उसका sketch दे दूँ मैं, और इसी बहाने थोड़ी बात भी हो जाएगी.

पर वो Sketch, जो 1 फरवरी से ही हर रोज मेरे जेब में हुआ करता था, आज नहीं था. कारण कि कल ही मैंने एक Online exam दी थी, जिसमें सारे जेब खाली करवा दिया था उन लोगों ने. अगर मैंने वो Exam नहीं दी होती, तो आज बात कुछ और होती. या फिर अगर वो sketch मैंने फिर से जेब में रख ली होती, तो आज बात कुछ और होती. पर नहीं.

आज सड़क पर सिर्फ वो थी और मैं था. मैं sketch ढूंढने के लिए जब तक अपनी जेब टटोलता रहा, वो आगे निकल गयी. पर मैंने तीसरे paragraph में ही कहा है, कि कुछ चीजों का छुट जाना भी अच्छा है. उन यादों को जब याद करते हैं, उन्हें जब आप miss करते हैं, तो कहीं न कहीं आपके मन में ये ज़रूर आता है कि काश, उस पल को फिर से जी सकता ,और अपनी गलतियाँ सुधार सकता. यानि कि कहीं न कहीं आपको ये एहसास हो गया है कि आपने गलती की है. और गलती का एहसास हो जाना ही सबसे बड़ी बात है.

नेहा के बारे में ये कहूँगा कि वो मुझे बस अच्छी लगती थी. उसके प्रति कोई भी Sensation नहीं होता था मन में. शुरूआती समय में, जब हम दोनों साथ में पढ़ते थे, तब उसके आसपास होने से थोड़ी सी abnormality आ जाती थी. पर अब ऐसा कुछ नहीं है. हाँ, उससे बातें करने का मन होता है. लगता है कि Classmate होने के नाते मुझे उससे बात करनी चाहिए. पर ये भी याद आ जाता है कि उसने मुझे Block किया हुआ है.

सुना है वो एक Ambitious लड़की है. अगर है तो अच्छी बात है. सुना है उसका Behavior भी change हो गया है. अब ये Positive Change है या Negative Change ये मुझे नहीं पता. और मैं अगर कभी उससे बात करूँ, तो ये Note करना नहीं चाहूँगा, और न ही judge करना चाहूँगा कि उसके Changes Positive हैं या Negative. पर जिस हिसाब से मेरा रवैया है, मुझे भविष्य में ये दूर तक संभव नहीं नज़र आ रहा कि मेरी उससे कभी बात भी होगी. उसने कहा था लोग उसकी आँखों से डरते हैं. जाने क्या बात होगी.

आज मैंने उसकी आँखों में देखा. मुझे डर नहीं लगा, अच्छा लगा. अगर उसे कोई ऐतराज न हो तो मैं चाहूँगा उन आँखों में देखते रहना. पर एक मलाल रह जायेगा. आज मौका था. आज मैं उसको कह सकता था कि सुनो, तुम्हें जो समझना है समझ लो. पर मुझे तुम अच्छी लगती हो. और मुझे मेरे बारे में तुम्हारी राय नहीं जाननी. आज मैं उसको दे सकता था उसकी sketch, जो मैंने बनाई थी, और कहता, कि सुनों, यूँ लोगों को आँखों से डराना छोड़ो. जो काम प्यार से हो सकता है, उसके लिए डराने की क्या ज़रूरत है.

मैं उससे कहता कि सुनो, पहले भी मैंने बहुत सारे Moments miss कर दिए हैं. और आगे भी कई सारे moments miss करने वाला हूँ. क्योंकि अगर तुम्हें आगे निकल जाने का शौक है, तो ज़रूरी नहीं कि तुम exam hall में मेरी help करो. अगर तुम्हें ऊपर जाना है, तो ज़रूरी नहीं कि तुम मुझे सही answers दो. हाँ पर मेरी ये ख्वाहिस जरुर थी कि हमारी भी कोई story होती. या फिर कोई story न सही कोइ Micro tale ही सही, पर होती. सुनो, मेरी एक ख्वाहिश जरुर थी कि हमारी भी एकसाथ में कोई याद हो. फिर चाहे उस याद में तुमने मुझे Reject ही क्यों न कर दिया हो.

अगर मुझे पता होता कि वो मेरी Crush है, तो जब भी कभी Classroom के Gate पर हम दोनों एक साथ मिलते, तो मैं थोडा Awkward Feel करता. मेरी भी धड़कने तेज़ होती, और मेरे दोस्त लोग मुझे भी चिढाते उसके नाम से. अगर मुझे पता होता, तो मेरे दोस्त मुझे भी तरीके बताते, नेहा को Impress करने के.

पर मैं बस उससे ये सारी बातें कह पाता, जो कि कह नहीं सका. समय पर sketch न मिलने का Regret. समय पर crush को Crush न समझने का Regret. समय पर हिम्मत न आने का regret. इन सबको याद करके खुद में ही खो जाना, अच्छा लगता है. लगता है जैसे मेरे डर के वजह से ही सही, कम से कम वो अपने aim को Pursue कर रही है. भले ही वो मुझे Credit न दे.


The above published note is derived from a phone call. Names, mentioned in the note, are imaginary and connection to a real body is just a co-incidence. We are not intended to hurt anyone physically or mentally.

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Saturday, 6 March 2021

Crush, एकतरफा मुलाक़ात और एहसान

 


तुम क्या ही समझोगे मेरा हाल-ए-दिल तुम्हें देखकर,

तुम क्या समझोगे तुम्हारे लिए मेरे जज़्बात क्या है,


एक तरफा मोहब्बत बहुत देखा-सुना होगा तुमने भी,

शायद तुम नहीं समझो एकतरफा मुलाकात क्या है,


तुम्हारे खयालों में कुछ इस तरह बंधा हुआ रहता हूं,

इन हसीन खयालों से अच्छा कोई हवालात क्या है,


दर्द ने भी इन दिनों खुशियों वाली चादर ओढ़ रखी है,

तुम्हारे सिवा मैं दूसरा क्या कहूं कि कायनात क्या है,


कल ही तुमने इनकार किया मेरे इजहार-ए-इश्क़ को,

हां, पर तुमने ये नहीं कहा था कि मेरी औकात क्या है,


कल तुमने ख़तम सा कर दिया किस्सा हमदोनों का,

मैं अभी तक ये समझ नहीं पाया था शुरुआत क्या है,


आज तुम्हें मायूस होकर खुद से बातें करते देखा मैंने,

पर मजबूरी ये है कि पूछ भी नहीं सकता बात क्या है,


हिम्मत किश्तों में साथ छोड़ती जा रही है मेरी अब,

आँखों में सिर्फ नमीं ही है तो फिर बरसात क्या है,


मेरे बुजदिली की सजा मेरे बेगुनाह इश्क़ को न मिले,

इजहार-ए-इश्क़ ही अगर गुनाह है तो मेरे साथ क्या है,


मुझे इश्क़ हो गया तुमसे तो तुमने भी मुझसे कर ली,

अगर इसे तुम इश्क़ कहते हो तो फिर खैरात क्या है,


यूँ तो सख्त लड़को में गिनती होती है मेरी शुरू से,

जो तुम गुजरी, जो मैं पिघला, मोम की बिसात क्या है,


तुम्हारे झुमके से आ रही थी टकराकर रौशनी उस रात,

मैंने आसमान की ओर देखा, कि चांदनी रात क्या है,


मुझे टूटना पसंद है इकतरफ़ा इश्क़ करते करते,

पर जानना है मेरे बारे में, तुम्हारे ख़यालात क्या है,


मैं दुनिया भर में पूछता फिर रहा था कि सुकून क्या है,

तुम्हें मुस्कुराता देखा तो भूल गया मेरे सवालात क्या हैं.


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Monday, 8 February 2021

Dear Future Mate

DEAR FUTURE WIFE
DEAR FUTURE WIFE

     By this word, Dear Future Mate, I want to indicate my Future Wife. Of course I don't know where she is. Of course I don't know who she is, how does she look like. In fact I don't know if there is a person to be my future wife or not.

    But if there is one, this note is for her. Dear Future Mate, hopefully you would have read my first note Dear Future Wife. After that note, I want to add some points. You should have known about who you are going to marry, and what expectations you can have from your Future Husband.

    Dear Future Mate, you can expect from me that I would understand your feelings, your dreams, your wishes, your aims, your future plans and whatever you would have in your mind post marriage. You can also expect that I would give it a better turn. Also, you can expect from me that the turn, I'll try to give, will be in our favour, and if not so, you can raise a complain against me.

    Dear Future Mate, you can expect from me that I won't blackmail you emotionally. You can expect from me that I won't shout on you, I won't be angry with you, I won't deny to have my breakfast or lunch. Dear Future Mate, you can expect from me that I won't force you to follow my instructions, until or unless it would be favourable to both of us along with our family.

    Dear Future Mate, I have already told you about gifts in my first note. In this, I would like to recall that you don't expect from me that I would bring gift for you each anniversary. But, if you want to be a bit angry at this, you will have to let me know. Otherwise I might be mislead about the fact what you are angry at.

    Dear Future Mate, I have already told about my affairs in many of my quotes. But those quotes are confusing. At a time, you will come to suppose I am a hardcore single, but at the other time, you will suppose that I have gone through many breakups. In such case, you can expect my honesty from me pre/post marriage. But most importantly, I want assure you that I won't cheat you.

    Dear Future Mate, you can expect my support from me in solving most of lives puzzling situations. You can expect my love from me. While I don't have experience how to love, why to love, what to love, how to show love, what are the terms of Love and so on, yet I shall try my best to make your smile up. Because that time, you smile will be the most precious thing I would never like to lose.

    Dear Future Mate, you can expect romantic dialogues from me. But that doesn't mean I have tried them upon someone. But, I have learnt them from various TV Serials and Movies. One thing to remember, I did not have learn this from my friends. Because I am not from them who listens to couple's secret conversations.

    Dear Future Mate, you can expect some beautiful moments from me to remember when life will give you goosebumps and you will feel depressed and confused about your decision of marrying me. Trust me, it won't disappoint you.

    Dear Future Mate, I don't know I am your type or not. Because I don't know your type. But you can expect my change from me to be your type, if you tell me what you like and dislike in your Husband, what you expect further.

    Dear Future Mate, I have already told you that you can expect my honesty from me in confession regarding my affairs. Yet, you can keep an eye on my activities. Trust me, the result won't disappoint you and will never spoil our relationship. Because no one can claim a short or long relationship (of any type, whether Long Distance, Short Distance, Letter Distance, Call Distance, Text Distance, Broker Distance or whatever) with me.