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A drawing by the web admin Shashikant Sharma |
कल रात को मैंने एक Mini Web Series देखी, ImMature. प्रेम मिस्त्री के निर्देशन में ओमकार कुलकर्णी और रश्मि अग्देकर ने बहुत खूब किरदार निभाया है. कहानी एक School की है, जिसमें लोग पढ़ते हैं. फिर एक backbencher लड़के को एक Frontbencher लड़की पसंद आ जाती है. फिर दोनों में प्रेम होता है, और एक को शहर छोड़ कर जाना पड़ता है.
कहानी में अगर concept की बात करें, तो कुछ भी नया नहीं है. YouTube पर अगर आप School Love Story लिखकर Search करें, तो 10 में से 9 videos में यही concept देखने को मिलेगा. पर फिर भी मैंने इसे देखा. लड़के को लड़की पर Crush होता है, और वो भी बहुत बड़ा वाला. इतना बड़ा वाला, कि अगर वो सामने हो, तो आवाज़ नहीं निकलती. अगर वो आसपास हो, तो इतना nervous हो जाता है लड़का, कि वहाँ से उसे भागना पड़ता है. पर ये कहानी छोडिये. क्योंकि सबके साथ यही होता है, अगर Crush हो तो.
सुबह मैं Bike लेकर निकला तो अकेले होते हुए भी आज मेरा Odometer बढ़ नहीं रहा था. मैं 32 के Speed से चला हूँ, करीब आधे घंटे. इस बीच मैंने खुद से बातें भी की, और मुस्कुराया भी बहुत हूँ. आज ये Realize हुआ है कि life में न, कुछ चीजों का Regret रह जाना भी ठीक है. अच्छा लगता है, अगर आप अपने जीवन से जुडी कुछ पुरानी चीजों को, कुछ पुरानी बातों को miss करते हैं.
अगर सीधे-सीधे अपनी बात पर आना चाहूँ, तो उसका नाम था नेहा. Classmate थी, और मेरी दूसरी Crush थी. शुरू-शुरू में मैं Frontbencher हुआ करता था. फिर मुझे कुछ दोस्त मिल गए, और मैं Backbencher बन गया. लेकिन वो Frontbencher ही रही. उसने अपनी seat नहीं बदली, और न ही class में अपनी Position. मैं पढने जाता था, पर उसे देखने के लिए नहीं, उसको दिखाने के लिए.
हमने कभी भी Co-Operation से काम नहीं किया. मुझे उससे चिढ रहती थी. इसलिए क्योंकि वो सबकी चहेती थी.सब उसे बहुत मानते थे. सब उसे बहुत चाहते थे. नाम भी तो नेहा था, अंग्रेजी में Adorable. पर उसी class में नेहा नाम की दो और लड़कियां भी थीं. लेकिन किसी का Crush बनने के सारे गुण इसमें थे, उन दोनों में नहीं.
अगर हमने Co-Operation से काम लिया होता, तो मैंने भी उसकी notebook मांगी होती, और Return करते समय उसपर कुछ लिख कर दिया होता. मैंने भी exam में उससे help मांगी होती, या उसकी help की होती. मैंने भी पीछे से उसकी Copy में झाँका होता.
अगर गलती से हम आगे-पीछे नहीं भी बैठते, तो हमने भी इशारों में बातें की होती, और हमने भी बराबर Number लाया होता. लेकिन हमने कभी Co-Operation को अपने Ego से जीतने ही नहीं दिया. अगर हमने Co-Operate किया होता, तो हम भी आपस में Group Study करते या एक दुसरे के Doubts आपस में Clear करते.
पर नहीं न. उसे तो मेरा नाम भी बस इसलिए पता था क्योंकि हम 8 बाई 12 के एक ही Classroom में पढ़ते थे, और लोग मुझे मेरा नाम लेकर बोलते थे तो उसने कभी सुना होगा. पर मुझे तो सबकुछ पता था. मुझे तो ये तक पता था कि वो यहाँ की थी भी नहीं, बल्कि कहीं और से आये थे पुरे परिवार, और अब यही रहने लगे हैं. मुझे तो उसके बारे में ये तक पता था कि वो कितने भाई-बहन है और कौन कहाँ रहता है. मुझे ये तक पता था कि उसकी Height मेरे नाक के जितनी बराबरी पर थी, और उसका पास से गुजर जाने के बाद मुझे 12 मिनट 43 सेकंड लगते थे Recover होने में.
हाँ, पर अगर उस समय कुछ नहीं पता था तो बस ये कि वो मेरी Crush थी. क्योंकि उस समय मुझे यही नहीं पता था कि Crush क्या होता है. मैं Class आने के बाद सबसे पहले उसी को ढूंढता था. और अगर वो दिख जाती थी, तो लगता था रात भर रट्टा मारना बेकार नहीं गया. सब चीजें याद होती थी मुझे. सारे Concepts Clear होते थे. लेकिन class में अगर मुझसे कुछ पूछा गया हो, और उसने पीछे मुड़कर मेरी तरफ देख ली हो, मैं भूल जाता था सबकुछ. इसीलिए हमने कभी एक दुसरे को कोई help नहीं की.
पता है, मैं इस तरह का डरपोक था कि एक बार गलती से हम दोनों एकसाथ सीढियाँ उतर रहे थे, तो मैं गिरते-गिरते बचा. फिर मैं वही सीढियों पर रुक गया, और जब वो उतर गई, तब मैं उतरा. मेरी कोशिश जरुर रहती थी, पर उसके आस-पास होने पर मैं Normal नहीं रह जाता था. और ये बात मुझे उस समय नहीं पता था. वरना आज बात कुछ और होती. भले अभी जो है उससे ख़राब ही होती, पर कुछ और होती.
उसने कहा था:- "लोग मेरी आँखों से डरते हैं." सही बात है. मुझे वो आँखें जादूगरनी लगती हैं. मैं उन आँखों को देखना नहीं चाहता. class में भी मेरी कोशिश होती थी, मैं उन आँखों को न देखूं. पर उसे लगा मेरे में attitude है. मैं क्या attitude दिखाऊंगा.
पता है, अगर मुझे पहले पता होता कि मेरा उसपर Crush है, तो मैंने भी उसको Ice-Cream के लिए पूछा होता. जबकि मुझे पता है कि उसने Reject ही करना था. Farewell पर मैंने भी उसको कुछ लिख कर दिया होता. जाते जाते मैंने उससे ये पूछा होता कि आगे का क्या Scene है. उसकी Advice ली होती कि मुझे क्या करना चाहिए.
मैं सबकुछ करता था. लेकिन मुझे कभी ये पता नहीं चला कि क्यों करता हूँ. उसके दिख जाने के बाद जो सुकून मिलता था न भाई, 30 में से 30 मिलने पर भी वो सुकून नहीं मिला कभी. पता है, उसकी मुस्कराहट से ज्यादा उसकी हंसी मुझे अच्छी लगती थी. क्योंकि जब वो खिलखिलाकर हंसती थी न, तो उसके right side के दांत दीखते थे जो बड़े-छोटे हैं, और अव्यवस्थित तरीके से हैं.
अगर मुझे पता होता कि वो मेरी Crush है, तो मुझे भी उसके आने पर सबकुछ Slow Motion में होता हुआ महसूस होता. मुझे भी लगता कि उसके लहराते बाल और उसकी मुस्कराहट देखकर आसपास की सारी चीजें अच्छी लगने लगी. मुझे भी लोग आवाज़ देते, और मैं उसे देखने में खोया रहता. मैं भी Close Up से Brush करके जाता पढने.
पर क्या होता है इन सब से? मैंने एक दिन उसे Message किया, Hi, This is me, (__my name__). उसका सवाल आया- "मेरा Number कहाँ से आया तुम्हारे पास?" फिर मुझे Block भी किया गया. पर कोई बात नहीं. मेरा Self-Respect नहीं टुटा. इसलिए क्योंकि एक तो बिना उसकी मर्ज़ी के मैंने Number निकाला था, दुसरे वो मेरी Crush थी ये बात मुझे बाद में पता चल गई थी, class ख़तम हो जाने के बाद. Number Deleted.......
लेकिन Telegram वालों को एक अलग ही Chul होती है. वो कहते हैं कि number delete भी हो गया तब भी वो बताएँगे कि इस number से Telegram account बनाया गया है. तो मुझे खबर मिला. मैंने Profile देखी. फिर एक photo की sketch मैंने बना दी. वो sketch आज भी मेरे जेब में पड़ी है. पर सुबह नहीं थी.
सुबह जब मैं Bike चला कर जा रहा था, तो मेरे मन में उस Film को याद करके सिर्फ-और-सिर्फ नेहा के ही ख्याल आ रहे थे. यहाँ तक कि आज जब मैं maths के question solve कर रहा था, तो उसमें भी नेहा वाला एक question था. उस question को मैं solve नहीं कर पाया. और इत्तेफाक़ ये था कि आज सुबह जब मैं वापस आ रहा था, तो मुझे नेहा दिखी. मेरी Heart beat थोड़ी तेज़ हुई. आज उसे देखकर सबकुछ Slow Motion में लग रहा था. आज उसे देख कर लग रहा था जैसे सिर्फ मैं हूँ, सिर्फ वो है, पतझड़ है, और हलकी हलकी धुप है.
मेरी कल्पना शक्ति अगर ठीक हो तो मुझे लग रहा था Mask के पीछे छुपा हुआ उसका चेहरा मुस्कराहट से भरा होगा.उसके आँखों की चमक देखकर लग रहा था जैसे उसे भी कुछ तो कहना था. और मुझे भी कुछ तो कहना था. और आज तो कोई भी नहीं है उसके और मेरे दरमयान, अगर मैं अपने डर की गिनती न करूँ तो. पर चलो, आज अपने डर पर काबू पाया जाए. आज उससे बात किया जाए. क्यों न उसे उसका sketch दे दूँ मैं, और इसी बहाने थोड़ी बात भी हो जाएगी.
पर वो Sketch, जो 1 फरवरी से ही हर रोज मेरे जेब में हुआ करता था, आज नहीं था. कारण कि कल ही मैंने एक Online exam दी थी, जिसमें सारे जेब खाली करवा दिया था उन लोगों ने. अगर मैंने वो Exam नहीं दी होती, तो आज बात कुछ और होती. या फिर अगर वो sketch मैंने फिर से जेब में रख ली होती, तो आज बात कुछ और होती. पर नहीं.
आज सड़क पर सिर्फ वो थी और मैं था. मैं sketch ढूंढने के लिए जब तक अपनी जेब टटोलता रहा, वो आगे निकल गयी. पर मैंने तीसरे paragraph में ही कहा है, कि कुछ चीजों का छुट जाना भी अच्छा है. उन यादों को जब याद करते हैं, उन्हें जब आप miss करते हैं, तो कहीं न कहीं आपके मन में ये ज़रूर आता है कि काश, उस पल को फिर से जी सकता ,और अपनी गलतियाँ सुधार सकता. यानि कि कहीं न कहीं आपको ये एहसास हो गया है कि आपने गलती की है. और गलती का एहसास हो जाना ही सबसे बड़ी बात है.
नेहा के बारे में ये कहूँगा कि वो मुझे बस अच्छी लगती थी. उसके प्रति कोई भी Sensation नहीं होता था मन में. शुरूआती समय में, जब हम दोनों साथ में पढ़ते थे, तब उसके आसपास होने से थोड़ी सी abnormality आ जाती थी. पर अब ऐसा कुछ नहीं है. हाँ, उससे बातें करने का मन होता है. लगता है कि Classmate होने के नाते मुझे उससे बात करनी चाहिए. पर ये भी याद आ जाता है कि उसने मुझे Block किया हुआ है.
सुना है वो एक Ambitious लड़की है. अगर है तो अच्छी बात है. सुना है उसका Behavior भी change हो गया है. अब ये Positive Change है या Negative Change ये मुझे नहीं पता. और मैं अगर कभी उससे बात करूँ, तो ये Note करना नहीं चाहूँगा, और न ही judge करना चाहूँगा कि उसके Changes Positive हैं या Negative. पर जिस हिसाब से मेरा रवैया है, मुझे भविष्य में ये दूर तक संभव नहीं नज़र आ रहा कि मेरी उससे कभी बात भी होगी. उसने कहा था लोग उसकी आँखों से डरते हैं. जाने क्या बात होगी.
आज मैंने उसकी आँखों में देखा. मुझे डर नहीं लगा, अच्छा लगा. अगर उसे कोई ऐतराज न हो तो मैं चाहूँगा उन आँखों में देखते रहना. पर एक मलाल रह जायेगा. आज मौका था. आज मैं उसको कह सकता था कि सुनो, तुम्हें जो समझना है समझ लो. पर मुझे तुम अच्छी लगती हो. और मुझे मेरे बारे में तुम्हारी राय नहीं जाननी. आज मैं उसको दे सकता था उसकी sketch, जो मैंने बनाई थी, और कहता, कि सुनों, यूँ लोगों को आँखों से डराना छोड़ो. जो काम प्यार से हो सकता है, उसके लिए डराने की क्या ज़रूरत है.
मैं उससे कहता कि सुनो, पहले भी मैंने बहुत सारे Moments miss कर दिए हैं. और आगे भी कई सारे moments miss करने वाला हूँ. क्योंकि अगर तुम्हें आगे निकल जाने का शौक है, तो ज़रूरी नहीं कि तुम exam hall में मेरी help करो. अगर तुम्हें ऊपर जाना है, तो ज़रूरी नहीं कि तुम मुझे सही answers दो. हाँ पर मेरी ये ख्वाहिस जरुर थी कि हमारी भी कोई story होती. या फिर कोई story न सही कोइ Micro tale ही सही, पर होती. सुनो, मेरी एक ख्वाहिश जरुर थी कि हमारी भी एकसाथ में कोई याद हो. फिर चाहे उस याद में तुमने मुझे Reject ही क्यों न कर दिया हो.
अगर मुझे पता होता कि वो मेरी Crush है, तो जब भी कभी Classroom के Gate पर हम दोनों एक साथ मिलते, तो मैं थोडा Awkward Feel करता. मेरी भी धड़कने तेज़ होती, और मेरे दोस्त लोग मुझे भी चिढाते उसके नाम से. अगर मुझे पता होता, तो मेरे दोस्त मुझे भी तरीके बताते, नेहा को Impress करने के.
पर मैं बस उससे ये सारी बातें कह पाता, जो कि कह नहीं सका. समय पर sketch न मिलने का Regret. समय पर crush को Crush न समझने का Regret. समय पर हिम्मत न आने का regret. इन सबको याद करके खुद में ही खो जाना, अच्छा लगता है. लगता है जैसे मेरे डर के वजह से ही सही, कम से कम वो अपने aim को Pursue कर रही है. भले ही वो मुझे Credit न दे.
The above published note is derived from a phone call. Names, mentioned in the note, are imaginary and connection to a real body is just a co-incidence. We are not intended to hurt anyone physically or mentally.
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Shashikant ji, by the way mai ye puchna chahungi ki apne apni crush ke bare me ye mention nhi kiya ki usne apka ek naam v rkha tha pr usne aj tk btaya nhi apko ... Khair ek question hai mera apse ki "posted by: me jo apne date mention kra hai wo thoda alag hi feel kra rha mujhe so kripya ap mujhe ye btane ka kast kre ki 22wa mahina kawn sa hota hai.
ReplyDeleteThank you reader, for reading this post meticulously. I would like to remind you the third last paragraph that the story is imaginary and derived from a phone call. Yet, if it is relatable to a character you know, kindly share this post to that person. And if he/she finds it offensive, let me know so that I can delete this post.
DeleteIt is further more interesting that the girl (boy's crush) has given the boy a nickname which he is unaware of.
And your last question, I would like to tell you that the date is written in MM/DD/YYYY format and it is automatically provided by the platform. This is not in my hand. By the way, for clearance, you can head towards the title. Date is clearly written there.
Thanks once again.